तो क्या अमित शाह को जेल भेजने के कारण जस्टिस कुरैशी नहीं बन पाए SC के जज?
टीम इंस्टेंटखबर
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक साथ नौ जजों ने शपथ ली है। एक तरफ ये ऐतिहासिक है वहीं जस्टिस अकील कुरैशी का इस सूची में नाम न होना इस ऐतिहासिक घटना पर एक कलंक है। क्योंकि हाईकोर्ट जजों में से जस्टिस कुरैशी देश के सबसे वरिष्ठ में से एक हैं। दरअसल जस्टिस अब्दुल हमीद कुरैशी वह जज हैं जिन्होंने ने 2010 में गुजरात के कनिष्ठ गृह मंत्री और आजके केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को सीबीआई हिरासत में भेजा था।
जस्टिस कुरैशी 7 मार्च 2022 को हाईकोर्ट के जज के रूप में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। अभी वो त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। 2010 में जस्टिस कुरैशी ने भाजपा नेता अमित शाह, जो इस वक्त देश के गृहमंत्री हैं, को सोहराबुद्दीन मुठभेड़ हत्या मामले में दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। वो उस वक्त गुजरात के तत्कालीन कनिष्ठ गृह मंत्री थे। वहीं, जस्टिस कुरैशी ने 2012 में एक फैसले के तहत (सेवानिवृत्त) जस्टिस आरए मेहता की लोकायुक्त के रूप में नियुक्ति को बरकरार रखा था, जो राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका था।
जस्टिस आर एफ नरीमन के 12 अगस्त को रिटायर हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या कम होकर 25 हो गई थी जबकि सीजेआई सहित न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है। 19 मार्च 2019 में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत में कोई नियुक्ति नहीं हुई।