DRE की उपयोगिता पर स्मार्ट पावर इंडिया ने पैनल चर्चा का किया आयोजन
लखनऊ
रॉकफैलर फाउन्डेशन की सब्सिडरी स्मार्ट पावर इंडिया (एसपीआई) ने ग्रामीण समुदायों की आजीविका पर वितरित नवीकरणीय ऊर्जा (डीआरई) के सकारात्मक प्रभावों के बारे में विचार-विमर्श के लिए एक पैनल चर्चा का आयोजन किया। ग्रामीण समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु वितरित नवीकरणीय ऊर्जा के फायदों पर रोशनी डालने के लिए इस पैनल चर्चा का आयोजन किया गया।
ग्रामीण समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए आधुनिक ऊर्जा की भरोसेमंद उपलब्धता बेहद ज़रूरी है। यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा हमारे जीवन में और आजीविका के लक्ष्यांे को हासिल करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाती है।
इस कार्यक्रम में अनुपम शुक्ला, आईएएस, डायरेक्टर, यूपीएनईडीए; आचार्य शेखर, एसपीएम, नॉन-फार्म लिवलीहुड, यूपी-एसआरएलएम; कमल कुमार कौशिक, सीईओ, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई), फ्यूज़न माइक्रोफाइनैंस लिमिटेड; मनोज कुमार गुप्ता, सीईओ, टीपी रीन्युएबल माइक्रोग्रिड; कुलबीर सिंह, वाईस प्रेज़ीडेन्ट (चैनल सेल्स), सर्वोटेक पावर सिस्टम्स लिमिटेड; जितेश कुमार, टेकनिकल एक्सपर्ट, जीआईज़ैड; एवं अन्य गणमान्य दिग्गज मौजूद थे।
पैनल चर्चा को सम्बोधित करते हुए अनुपम शुक्ला, आईएएस, डायरेक्टर, यूपीएनईडीए ने कहा, ‘‘स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना समय की मांग है। उत्तर प्रदेश सरकार एवं हमारे विभाग ने भरोसेमंद और किफ़ायती ऊर्जा की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए लगातार काम किया है। स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करती है कि भारत के ग्रामीण वंचित समुदायों को अच्छी गुणवत्ता की सेवाएं मिलें, उनकी आजीविका एवं आर्थिक स्थिति में सुधार हो। आजीविका के स्थायी अवसर निर्मित करने, स्वच्छ ऊर्जा समाधानों में निवेश द्वारा ग्रामीण भारत आर्थिक रूप से सुधार करेगा, जिससे पूरे देश की तरक्की होगी।’
वितरित नवीकरणीय ऊर्जा से लघु उद्यमों को कई फायदे मिलते हैं। बिजली, रेफ्रीजरेशन एवं स्टोरेज के लिए भरोसेमंद विद्युत की आपूर्ति के चलते कारोबार दिन भर अपना काम कर सकते हैं, इससे उनकी दक्षता और उत्पादकता बढ़ती है। डीआरई समाधान न सिर्फ लागत प्रभावी हैं बल्कि जलवायु परिवर्तन को कम करने, स्थानीय नौकरियों के अवसर उत्पन्न करने और ग्रामीण आबादी के लिए आय-सृजन के अवसर उत्पन्न करने में भी कारगर होते हैं, ये समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को प्रभावी रूप से अपनाने में सक्षम बनाते हैं।
इस अवसर पर मिस सी इंदुमथी, आईएएस, एमडी, यूपी स्टेट रूरल लिवलीहुड मिशन ने कहा, ‘‘हम राज्य में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं। जीवाश्म ईंधन के बजाए स्वच्छ ऊर्जा की ओर रुख करने से लधु उद्यमों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। भरोसेमंद उर्जा से उपलब्ध होने से गांवों में सूक्ष्म गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही उत्पादकता भी बढ़ेगी। वितरित नवीकरणीय ऊर्जा के फायदों के बारे में जागरुकता बढ़ने तथा परिणामस्वरूप उत्पादकता बढ़ने से खर्चों के बीच भी तालमेल बनता है, जो बेहद महत्वपूर्ण है। भारत के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में आधुनिक भरोसेमंद ऊर्जा की उपलब्धता को सुनिश्चित करना होगा।’
आजीविका को विकास में डीआरई के महत्व पर विचार व्यक्त करते हुए मिस स्वाति कारकी, एजीएम, नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एण्ड रूरल डेवलपमेन्ट (नाबार्ड) ने कहा, ‘‘नाबार्ड आजीविका हस्तक्षेपों एवं उद्यमियों को सहयोग प्रदान करता है। यूपी क्षेत्र में अपने प्रोग्रामों के माध्मय से हम लाभार्थियों के समूह के साथ काम करते हैं, इससे शहर जाने वाले प्रवासियों की संख्या कम हुई है, नई हरित नौकरियां उत्पन्न हुई हैं, साथ ही कर्मचारियों के लिए काम की अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण हुआ है और उनकी आय भी बढ़ी है।’