श्रेया का आत्मिक अंदाज़ दिलाता है बेनी बाबू की याद
तहसील फ़तेहपुर: (फहीम सिद्दीक़ी)
कुर्सी विधानसभा 266 से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अपने पिता पूर्व मंत्री राकेश वर्मा के क़स्बा फ़तेहपुर के चुनाव कार्यालय का उदघाटन करने पहुँची श्रेया वर्मा का अंदाज़,लोगों से आत्मिक लगाव, बुजुर्गों के सम्मान,बिना थके बिना रुके मिशन की ओर बढ़ना बेनी बाबू की याद दिलाता है।
उल्लेखनीय है कि श्रेया वर्मा की सियासी पारी की शुरुआत समाजवादी पार्टी की महिला सभा प्रकोष्ठ में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर हुई है। उन्होंने राजनीति का ककहरा अपने दादा बेनी प्रसाद वर्मा से सीखा है। जो गाँव की पथरीली पगडंडियों से लुटियंस जोन की सड़कों के पथिक रहे है। बेनी प्रसाद वर्मा के नक्शे कदम पर चलते हुए श्रेया वर्मा ने दो पीढ़ियों के फासले को समेटा है।इससे इनकार नही किया जा सकता कि पुरानी पीढ़ी के लोगों को श्रेया वर्मा मे रोल मॉडल बेनी बाबू दिखते है,तो नई पीढ़ी को श्रेया मे नजर आता है आत्मविश्वास से भरा इक्कीसवीं सदी का चेहरा।
फिलहाल श्रेया अपने पिता राकेश वर्मा के चुनाव प्रबन्ध को पूरी शिद्दत के साथ देख रही है बेनी बाबू का असर ही जो कार्यालय उदघाटन के तुरन्त बाद कस्बे के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल महादेव तालाब मंदिर मे पूजा अर्चना और बुजुर्ग मखदूम शाह की मजार के दर्शन कर पिता की जीत की प्रार्थना करने पहुँची साथ ही साथ पटेल चौराहे पर स्थित सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्ति पर माला पहनाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
बहरहाल,श्रेया वर्मा के सक्रिय राजनीति मे उतरने की चर्चाओं के पंख लग गए है।अब इन चर्चाओं और संकेतो में कितनी सच्चाई है,यह तो भविष्य के गर्भ में है,लेकिन इन चर्चाओं-संकेतो से सपाईयो की आँखों मे जरूर चमक आ गयी है। खासकर जिला के युवा सपा कार्यकर्ता इन दिनों उत्साह से लबरेज है। दबी जुबान ही सही,वे यह भी कहने से नही चूक रहे कि श्रेया वर्मा के नेतृत्व मे इस बार प्रदेश मे सपा सबसे ज्यादा मतों से कोई सीट जीतेगी तो वह कुर्सी विधानसभा होगी। अब कार्यकर्ताओ का अनुमान कहाँ तक सही है यह तो आने वाली 10 मार्च को पता चलेगा।