शर्लिन ने किया खुलासा, बॉलीवुड में डिनर का मतलब होता है समझौता
शर्लिन चोपड़ा अपने बोल्ड इमेज को लेकर सुर्खियां बटोरती हैं। इंस्टाग्राम पर उनकी एक से बढ़कर एक बोल्ज पिक्चर्स हैं। हाल ही में शर्लिन ने एक इंटरव्यू के दौरान कास्टिंग काउच के एक कोड के बारे में लोगों को बताया है। कास्टिंग काउच से जुड़े उन्होंने तमाम राज शेयर किए।
शर्लिन ने बताया कि करियर के शुरूआत में उन्होंने भी काफी कुछ सहन किया है। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच के लिए एक खास शब्द का प्रयोग होता है। सुनने में यह बहुत सिंपल लगे लेकिन असल में यह एक कोड होता है जिसका मतलब सीधा समझौते से होता है।
बकौल शर्लिन कास्टिंग काउच के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोड का नाम ‘डिनर’ है। उन्होंने बताया कि करियर की शुरुआत में एक फिल्म मेकर ने आधी रात को ‘डिनर’ पर बुलाया था।
इंटरव्यू में शर्लिन ने बताया कि ”शुरूआत में जब मैंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा था तब मैं सबके लिए अंजान थी। तब मैं जब भी निर्माताओं से काम के लिए अप्रोच करती थी मुझे लगता था कि वे मेरा टैलेंट देखेंगे। मैं अपने पोर्टफोलिया के साथ उनके पास जाती थी और वह मुझसे कहा थे ‘अच्छा ओके, ठीक है, हम मिलते हैं डिनर पर।”
शर्लिन ने आगे बताया कि तब ”मुझे लगता था कि शायद ये डिनर मतलब वही जिसे हम बचपन से जानते हैं। इसलिए मैं पूछती थी कि मुझे डिनर पर कब आना चाहिए तो वह मुझे रात को 11 या 12 बजे आने के लिए कहते थे। बाद में पता चला कि डिनर’ से उन लोगों को असली मतलब कंप्रोमाइज होता था। जब ऐसा चार से पांच बार हो गया तो मैं समझी कि ‘डिनर’ का असल मतलब क्या होता है। ‘डिनर’ का फिल्म इंडस्ट्री में मतलब है, ‘मेरे पास आओ बेबी।’
जब शर्लिन को इसका मतलब साफ समझ आ गया तो उन्होंने सोच लिया कि अब डिनर करना ही नहीं है। शर्लिन ने बताया कि इसके बाद जब भी मैं काम के लिए जाती और कोई भी मुझसे उस कोड वर्ड के साथ बात करते थे तो मैं कहती थी, ‘मैं डिनर नहीं करती हूं, मेरा डायट चल रहा है। आप ब्रेकफास्ट पर बुला लो या लंच पर बुला लें। ऐसा बोलने पर कोई जवाब नहीं मिलता था।
जब शर्लिन को इसका मतलब साफ समझ आ गया तो उन्होंने सोच लिया कि अब डिनर करना ही नहीं है। शर्लिन ने बताया कि इसके बाद जब भी मैं काम के लिए जाती और कोई भी मुझसे उस कोड वर्ड के साथ बात करते थे तो मैं कहती थी, ‘मैं डिनर नहीं करती हूं, मेरा डायट चल रहा है। आप ब्रेकफास्ट पर बुला लो या लंच पर बुला लें। ऐसा बोलने पर कोई अंसर नहीं मिलता था।