राजा राम मोहन राय जी पर आधारित संगोष्ठी संपन्न
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के प्रयोजन में भारती पुनर्जागरण के अग्रदूत और आधुनिक भारत के जनक राजा राम मोहन राय जी पर के जन्मोत्सव पर आयोजित सोसाइटी फॉर सोशल वेलफेयर ऐंड एजुकेशनल डेवलपमेंट ने चार दिवसीय कार्यक्रम संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में मनाया गया. सोसायटी के अध्यक्ष अफरोज आलम, सचिव कुंवर अभिषेक प्रताप सिंह, संयोजक डॉक्टर इरफानुल हक,पूनम ने दीप प्रज्ज्वलित करके संगोष्ठी का शुभारंभ किया! इस मौके पर अफरोज आलम ने कहा कि राजा राम मोहन राय जी नि: संदेह भारतीय राष्ट्रीयता के पैग़म्बर और आधुनिक भारत के जनक थे। उन्हें अति स्पष्टदर्शी, धार्मिक नेता और अनुगामी राजनीतिक विचार और शिक्षाविद के रूप में उन्होंने देश की परमुख सामाजिक समस्याओं के पहलुओं को छुआ और उनके निदान भी प्रस्तुत किए जिसके कारण उन्हें आज भी उन्हें सामाजिक सुधारो एव भारती पुनर्जागरण के अग्रदूत के रूप में स्मरण किया जाता हैं।
कार्यक्रम में मुख्य रुप से राजा राम मोहन राय जी के जीवन पर आधारित नाटक के जरीए ये बताया गया कि अहुभाषाविद थे उन्हें बंगला,फारसी, अरबी, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, ग्रीक, फ्रेंच और लेटिन भाषा अच्छी तरह से जानते थे उन्हें मौलवी की उपाधि के साथ साथ राजा राम मोहन राय जी को राजा की उपाधि दिल्ली के मुगल सम्राट ने दी।
राजा राम मोहन राय जी का सबसे बड़ा सामाजिक योगदान सती प्रथा का उन्मूलन था। उन्होंने सती प्रथा को समाप्त करने के लिए लॉर्ड विलियम बैंटिक को पत्र लिखा १८२९ में लॉर्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा को निषिद्ध घोषित किया। प्रोग्राम के अंत में सभी कलाकारों और मेहमानों को पुरुस्कार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर इरफानुल हक़ ने सभी मेहमानों और कलाकारों को धन्यवाद देते हुए संगोष्ठी को संपन्न किया