लखनऊ
बढ़ते निजीकरण और आधुनिकरण के कारण कुलियों के सामने आए आजीविका के संकट के हल के लिए कुलियों को 2008 की तरह केंद्र सरकार एक बार पुन: रेलवे में उनकी योग्यतानुसार नौकरी दे, स्टेशन पर बैटरी रिक्शा संचालन की नियमावली बने जिसमें इस रिक्शा में मात्र वृद्ध, विकलांग और बीमार लोगों को ले जाने का नियम बने, आउटसोर्सिंग कम्पनी को दी गई ट्रॉली प्रथा पर रोक लगे और कुलियों के बच्चों की शिक्षा, परिवार को स्वास्थ्य लाभ और चार वर्दी देने के आदेशों का कड़ाई से अनुपालन हो। इन मांगों पर हुई कुलियों की वर्चुअल बैठक में सत्याग्रह अभियान चलाने का निर्णय हुआ। जिसे सभी डिविजनों के डिविजनल रेलवे मैनेजर (डीआरएम) के माध्यम से भारत सरकार के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र भेजकर शुरू किया जायेगा। बैठक का संचालन कुली यूनियन अध्यक्ष राम सुरेश यादव ने किया। बैठक में सभी 68 डिवीजन से सैंकडों प्रतिनिधि उपस्थित थे।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि कुलियों की भर्ती सरकारी विज्ञापन के द्वारा और शारीरिक योग्यता परीक्षा के बाद की जाती है। कुली रेलवे के अभिन्न अंग है और आज सरकार की रेलवे में लागू की जा रही नीतियों के कारण उनके समक्ष जीवन चलाने का बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कुलियों की आमदनी बेहद कम हो गई है। मौजूदा सरकार इसे हल करने की जगह इस संकट को लगातार बढ़ा रही है। हाल ही में प्रयागराज डिवीजन में आउटसोर्सिंग कंपनी को ट्रॉली सेवा देने का टेंडर दिया गया है जो सीधे तौर पर कुलियों के पेट पर लात मारना है।

कुलियों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत भारत के हर नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। कल्याणकारी राज्य में सरकार का यह दायित्व है कि वह हर नागरिक के आजीविका को सुनिश्चित करें। कुली भी मौजूदा समय में अपने रोजगार से जीवन यापन नहीं कर पा रहें है। ऐसी स्थिति में कुलियों ने मांग की है कि केंद्र सरकार 2008 की तरह कुलियों की रेलवे में भर्ती प्रक्रिया को एक बार फिर से चालू करें।

बैठक में विचार विमर्श के बाद यह निर्णय हुआ कि पूरे देश के कुलियों के प्रतिनिधियों की एक बैठक लखनऊ में आयोजित की जाएगी। जिसमें शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक सत्याग्रह अभियान के संबंध में रणनीति तैयार होगी।

बैठक में फत्ते मोहम्मद, अदनान, अरुण कुमार यादव, राघवेंद्र प्रताप सिंह, कलीम मकरानी, गोलू ठाकुर, सुरेंद्र, रामजन्म यादव, अलीमुद्दीन, अमित, राज कपूर, राजू नई दिल्ली, राजकुमार यादव वर्धमान, चंदेश्वर मुखिया न्यू जलपाईगुड़ी, जितेंद्र डांगी उदयपुर, नौशाद जोधपुर, अनिल, रमेश सांवले भुसावल, रामबाबू बिलाला, राम महावर भोपाल, रुस्तम मकरानी, जीशान अली जबलपुर, अब्दुल माजिद, राजू टेक नागपुर, अरुण कुमार हाजीपुर, बैंकट रामाराव बिलासपुर, रहमतुल्लाह, वेंकट कांजीपेट सिकंदराबाद, कारी कृष्णा विशाखापट्टनम, कश्मीरी लाल जालंधर, विजय सिंह उधमपुर, विजय दास उड़ीसा, गुरु राम माधव चेन्नई, अमजद हुबली, कन्हैया कुमार यादव हावड़ा, रमेश ठाकुर असम, मोहम्मद हाशिम अहमदाबाद, हनुमंत वास्कोडिगामा गोवा, बुधराम हजरत निजामुद्दीन आदि लोगों ने अपनी बात रखी।