प्रतिभाओं को मारने में लगी आरएसएस-भाजपा सरकार: आइपीएफ
प्रसिद्ध कवि वरवर राव व डॉ कफील समेत सभी राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं को रिहा करे सरकार
लखनऊ: सुप्रसिद्ध कवि वरवर राव की बेहद नाजुक हालत पर गंभीर चिंता और बदले की भावना से जेल में बंद डॉ कफील के एनकाउंटर में मारे जाने संबंधी वीडियो के सामने आने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने आज जारी बयान में इनके समेत वरिष्ठ पत्रकार गौतम नवलखा, प्रसिद्ध अम्बेडकरवादी लेखक डॉक्टर आनंद तेलतुम्बड़े व अधिवक्ता सुधा भारद्वाज समेत सभी राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि आरएसएस- भाजपा की सरकार वैचारिक राजनीतिक विरोध को सहन नहीं कर पा रही है और देश की प्रतिभाओं को सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को बदले की भावना से फर्जी मुकदमों में जेल भेजा जा रहा है, उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. यहाँ तक कि उन्हें जान से मार डालने की साजिश की जा रही है. यदि फर्जी मुकदमे के कारण प्रसिद्ध कवि वरवर राव की मौत हुई तो इसकी जिम्मेदारी आरएसएस-भाजपा सरकार की होगी. उन्होंने कहा कि लखनऊ में ही बिना कानून के अवैध ढंग से वसूली की कार्यवाही की गई, लोगों को जेल भेजा गया तथा कुर्की तक की गई. योगी सरकार की इस मनमानी कार्यवाई पर माननीय हाईकोर्ट तक ने सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस भाजपा की यह कार्यवाही देश में प्रतिभाओं को नष्ट कर देगी जो समाज व राष्ट्र की अपूरणीय क्षति होगी.
उन्होंने आगे कहा कि कोरोना महामारी के समय जब डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की बेहद कमी सरकार खुद स्वीकार कर रही हो तब ऐसी स्थिति में सभी मुकदमों से बरी होने के बावजूद रासुका लगाकर प्रतिभाशाली डॉ कफील को जेल में रखने का क्या औचित्य है. यदि डॉ कफील रिहा होते तो निश्चित ही वह इस कोरोना महामारी में प्रदेश की जनता के इलाज का कार्य कर रहे होते.
दारापुरी ने राष्ट्रीयस्तर पर जारी दमन विरोधी अभियान के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि आइपीएफ का स्पष्ट मत है कि देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए एनएसए, यूएपीए जैसे तमाम काले कानूनों को समाप्त किया जाना चाहिए और वैचारिक राजनीतिक विरोध के आधार पर किसी का भी उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए.