अयोध्या में अधिग्रहित जमीन पर समतलीकरण कार्य रुकवाने के लिए राष्ट्रपति से गुहार
लखनऊ: डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय एकता मंच के राष्ट्रीय अघ्यक्ष भवन नाथ पासवान ने देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर लॉकडाउन के दौरान अयोध्या में अधिग्रहित जमीन पर समतलीकरण कार्य पर सवाल उठाया है|
श्री भवन नाथ पासवान ने राष्ट्रपति को पत्र में कहा कि पूरा देश कोरोना संक्रमण के वजह से पिछले 20 मार्च 2020 से लाॅक डाउन में चल रहा है देश में सभी गतिविधियाँ रोक दी गई है । पूरे देश के सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों एवं कंपनियां लाॅक डाउन कर दी गई है सारे परिवहन संसाधन जो जहां थे वहीं रोक दिए गए एयरलाइन बंद कर दिए गए पूरे देश में सभी को भौतिक दूरी बनाए एवं मास्क पहनने का निर्देश कर दिए गए हैं खेद के साथ अवगत कराना है इस परिस्थितियों में भी अयोध्या मे अधिग्रहित जमीन पर समतलीकरण का कार्य जारी है। ऐसा करना लाॅक डाउन के नियमों के विरुद्ध है।
अलग अलग जगहों पर लाॅक डाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर आरोपित लोगों को दंडित भी किया जा रहा है फिर भी नियम विरुद्ध किए जा रहे समतलीकरण करते समय जमीन के नीचे तमाम सारे बद्धा के प्रतीक एवं मौर्य कालीन अवशेष मिल रहे हैं निश्चित रूप से यह सारे अवशेष संविधान के अनुच्छेद 49 के तहत राष्ट्रीय महत्व के स्मारक होने के कारण संरक्षित किए जाने योग्य हैं इन अवशेषों को नष्ट करना या विकृत करना संविधान का उल्लंघन है।
भारत के राष्ट्रपति संविधान के संरक्षक हैं डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय एकता मंच के राष्ट्रीय अघ्यक्ष भवन नाथ पासवान ने बताया हैं कि डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय एकता मंच बुद्ध एवं अम्बेडकर के दर्शन पर चलने वाला संगठन है इससे पूरे देश के लाखों बुद्ध अम्बेडकरवादी जुड़े हैं, अयोध्या में समतलीकरण के दौरान बुद्ध के प्रतीकों के विकृत किए जाने से देश के लाखों लोग दुखी हैं।
डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय एकता मंच के राष्ट्रीय अघ्यक्ष ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि अयोध्या में किए जा रहे उन खनन एवं समतलीकरण के कार्यों को तुरंत रुकवा दिया जाए , एवं जब तलक भारत का सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक विभाग सभी महत्वपूर्ण अवशेषों को संरक्षित नहीं कर लेता है तब तक अन्य किसी को खनन एवं समतलीकरण की अनुमति न दी जाए साथ ही इस तरह बुद्ध के अन्य स्मारक एवं अवशेष अंतर्राष्ट्रीय महत्व होने के कारण यूनेस्को की देखरेख में संरक्षित है इस ऐतिहासिक स्थल को भी यूनेस्को के संरक्षण में किया जाए।