बुधवार को लोकसभा ने वित्त विधेयक, 2024 को आधिकारिक संशोधनों के साथ पारित कर दिया, जिसमें मध्यम आय वर्ग को नुकसान पहुंचाने की मांग के बाद इंडेक्सेशन प्रावधान को वापस लेने का प्रावधान किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इंडेक्सेशन प्रावधान राजस्व के लिए नहीं बल्कि केवल प्रणाली के सरलीकरण के लिए लाया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर जनता के अनुरोधों को स्वीकार कर लिया है।

स्पीकर ओम बिरला ने सभी गैर-आधिकारिक संशोधनों को खारिज करने के बाद वित्त विधेयक को ध्वनिमत से पारित घोषित किया। मंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार का उद्देश्य कर प्रणाली में परिवर्तनकारी बदलाव लाना, इसे सरल और पारदर्शी बनाना और अनुपालन को आसान बनाना था। इस साल के बजट प्रस्ताव भी इसी लक्ष्य से प्रेरित थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने देश भर के लोगों से मिलने के बाद संशोधन लाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चाहते थे कि लोगों की राय ली जाए।

उन्होंने कहा कि सांसदों ने जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा पर 18 प्रतिशत जीएसटी को वापस लेने की मांग की थी। यह आश्चर्यजनक है कि राजनीतिक दल इसकी मांग कैसे कर रहे थे, जबकि जीएसटी से पहले यह सभी राज्यों में प्रचलित था। उन्होंने कहा कि जीएसटी में सभी राज्य कानून और प्रथाएं समाहित थीं। मंत्री ने कहा कि यदि सदस्य इसे वापस लेना चाहते हैं, तो उन्हें अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों से इसे जीएसटी परिषद में उठाने के लिए कहना चाहिए। सीतारमण ने कहा कि यह मामला जीएसटी परिषद में तीन बार 31वीं बैठक, 37वीं बैठक और 47वीं बैठक में उठाया गया। इस पर चर्चा भी हुई।