97 हजार प्राथमिक शिक्षक भर्ती के वादे से मुकरने से युवाओं की नाराजगी बढ़ी: युवा मंच
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लखनऊ: 97 हजार प्राथमिक शिक्षक भर्ती के मुद्दे पर एससीईआरटी लखनऊ में 2 अगस्त के आंदोलन का युवा मंच ने समर्थन करते हुए डीएलड, बीएड व बीटीसी के छात्रों को इसमें शरीक होने की अपील की है।
रोजगार के मुद्दे पर 9 अगस्त ईको गार्डेन में होने वाले आंदोलन की तैयारी के सिलसिले में लखनऊ पहुंचे युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में योगी सरकार के कार्यकाल में बेशक 1.25 लाख शिक्षकों की नियुक्ति की गई है लेकिन 1.37 लाख शिक्षकों के समायोजन रद्द होने से बर्खास्त होने और रिटायर्ड शिक्षकों की तादाद नियुक्ति शिक्षकों से काफी ज्यादा है। ऐसे में योगी सरकार के सत्तारूढ़ के वक्त प्राथमिक विद्यालयों में जो डेढ़ लाख से ज्यादा का बैकलॉग था उसमें ईजाफा ही हुआ।
वास्तव में प्राथमिक विद्यालयों में बैकलॉग को भरने के लिए 2016 के बाद कोई नयी भर्ती ही नहीं आयी है। शिक्षा मित्रों के समायोजन के रद्द होने के उपरांत सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिन रिक्त हुए पदों को भरा गया है,इसमें पहले से मौजूद बैकलॉग शामिल नहीं था। न सिर्फ बेसिक शिक्षा विभाग में बैकलॉग में ईजाफा हुआ है बल्कि योगी सरकार के कार्यकाल में मोटे तौर पर आकलन के अनुसार बैकलॉग में ईजाफा हुआ है। लेकिन योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 97 हजार शिक्षक भर्ती का जो वादा किया था और 51112 शिक्षक भर्ती के लिए तो बाकायदा हलफनामा दाखिल किया था, उससे मुकरने से युवाओं से युवाओं का आक्रोश चरम पर है और अगर 97 हजार प्राथमिक शिक्षक भर्ती विज्ञापन जारी नहीं किया गया तो इसका खामियाजा योगी सरकार व भाजपा को भुगतना पड़ेगा।
दरअसल प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 3.44 लाख नियमित नौकरी दी गई लेकिन तकरीबन 2.5 लाख रिटायरमेंट व 1.37 लाख शिक्षकों के समायोजन रद्द होने के परिणामस्वरूप तकरीबन 43 हजार कर्मचारी घट गये हैं। यही बात केंद्र सरकार में भी है जिसमें कार्मिक मंत्री द्वारा संसद में पेश डेटा के हिसाब से केंद्रीय विभागों में मार्च 2018 के सापेक्ष मार्च 2020 में रिक्त पदों में तकरीबन दो लाख का ईजाफा हुआ। दरअसल मोदी-योगी सरकार की नीतियों से देश व प्रदेश में बेकारी बेकाबू होती जा रही है लेकिन योगी सरकार फर्जी आंकड़ेबाजी कर युवाओं के जले में नमक छिड़कने का काम कर रही है।