दिल्ली:
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने अपने 11वीं क्लास के सिलेबस से स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के संदर्भों को राजनीति विज्ञान की किताबों से हटाने का फैसला किया है। एनसीईआरटी का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब हाल ही में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या और आजादी के बाद उन्होंने जो किया उससे संबंधित संदर्भों को हटाए जाने से विवाद खड़ा हो गया है।

ग्यारहवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक के पहले अध्याय ‘संविधान- क्यों और कैसे’ में मौलाना आज़ाद का नाम संविधान सभा की बैठकों से हटाने के लिए एक पंक्ति में संशोधन किया गया है। संशोधित पंक्ति अब पढ़ती है, “जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल या बीआर अंबेडकर आमतौर पर इन समितियों की अध्यक्षता करते थे।”

मौलाना आज़ाद ने 1946 में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जब उन्होंने संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए भारत की नई संविधान सभा के चुनावों का नेतृत्व किया। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने छठे वर्ष में ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के साथ बातचीत करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

गौरतलब है कि इसी पाठ्यपुस्तक से जम्मू-कश्मीर के सशर्त विलय का संदर्भ भी हटा दिया गया है। ‘द फिलॉसफी ऑफ द कॉन्स्टीट्यूशन’ किताब के दसवें अध्याय में एक वाक्य को हटा दिया गया है। नए अध्ययन में लिखा गया है कि ‘उदाहरण के लिए, भारतीय संघ के साथ जम्मू और कश्मीर का विलय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत अपनी स्वायत्तता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता पर आधारित था।’