लोकदल का सवाल, अमीरों के 10 लाख करोड़ माफ़ हो सकते हैं तो किसानों के क्यों नहीं?
देश में ११ महीनों से चल रहे किसान आंदोलन पर लोकदल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुनील सिंह ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है किसानों को मोदीराज में खुशहाल दिखाने की कोशिश की जा रही है।
लेकिन उनके दावों को ख़ारिज करता है राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) का ताज़ा सर्वे।इस सर्वे के अनुसार, वर्ष 2019 तक देश के 50 प्रतिशत से अधिक किसान क़र्ज़ में थे। प्रति परिवार औसतन क़र्ज़ 74,121 रुपए था।किसानों के कुल बकाया क़र्ज़ में से 69.6 प्रतिशत बैंक सहकरी समितियों और सरकारी एजेंसियों जैसे संस्थागत स्रोतों से लिए गए।एनएसओ की रिपोर्ट के अनुसार देश में 45.8 अन्य पिछड़े वर्ग किसान हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाती के 15.9 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के 14.2 प्रतिशत और अन्य 24.1 प्रतिशत किसान हैं।
उद्योगपतियों का ₹10,60,000 CR माफ़ पर किसान को क़र्ज़माफ़ी के नाम पर उल्टा किसान कर्जदार हो गया। यही है सरकार का असली चेहरा !”
कृषि प्रधान देश में लगभग आधे किसान तो ओबीसी हैं। और देश के आधे किसान क़र्ज़ के बोझ तले दबे हैं। इस सर्वे से प्रतीत होता है कि भाजपा किसानों के खुशहाल होने की ‘भ्रामक’ तस्वीर पेश करती है। इसके साथ-साथ ओबीसी का वोट पाने का दावा करने वाली और्छी राजनीति करने वाली भाजपा इन किसानों के लिए ज़मीनी काम नहीं कर रही है।
देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों के क़र्ज़ सरकार माफ़ कर देगी लेकिन किसानों के लिए नहीं।