पवित्र कुरान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
मासूम मुरादाबादी
पवित्र कुरान के खिलाफ एक अभिशापित विरोध ने इस्लामिक भारत की भावनाओं को बुरी तरह कमजोर कर दिया है । सबको पता है कुरान अल्लाह का शब्द है और दुनिया तक इसी हालत में रहेगा । न इसमें न इसमें न इसमें । परिवर्तन की कोई क्षमता नहीं है, न ही किसी प्रकार का परिवर्तन संभव है । कुरान की हिफाज़त अल्लाह खुद लेता है । अतीत में जिसने भी कुरान के खिलाफ विरोध किया है उसे भयानक परिणाम भुगतना पड़ा है और इंशा अल्लाह ऐसा भविष्य में भी होगा । अल्लाह के शब्द पर किसी भी प्रकार का पत्र पढ़ना वास्तव में कायनात के निर्माता से लड़ने जैसा है और जिनके पास ऐसा साहस है उन्हें कुदरत ने निशानी बना दी है । वसीम रिजवी नाम का एक बदनसीब । हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जनहित की याचिका देकर पवित्र कुरान से दो छंद हटाने की अपील की है । ये बदनसीब कहता है कुरान की ये आयतें हिंसा और आतंकवाद सिखाती हैं । तो उन्हें कुरान से निकाल दिया जाना चाहिए । न सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर कोई नोटिस लिया और न ही इस बकवास याचिका को कोर्ट में सुनवाई के लिए मंजूरी दी गई है, लेकिन मुसलमानों के बीच इससे जुड़ी खबर छपी है । उसने जो बनाया है उसे पूर्ण शब्दों में बताना मुश्किल है । उर्दू अख़बारों में उसकी ख़बरें भरी हैं और वसीम रिज़वी को गाली दी जा रही है । इसकी गिरफ्तारी की मांगें भी मजबूत हैं । याचिकाकर्ता वसीम रिजवी उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहे हैं और उन्होंने विराम की संपत्ति की जांच के लिए जो किया है उसके खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है । कानून के जाल से खुद को बचाने के लिए बीजेपी पर राज किया है । P ने आश्रय लिया है और अपने राजनीतिक मालिकों को खुश करने के लिए हर बुराई कर रहा है । पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान अयोध्या में भी कहा था कि अगर मोदी जी चुनाव हार गए तो आत्महत्या कर लेंगे ।
लगता है लानत रिज़वी ने क़ुरआन हकीम के खिलाफ अदालत का दरवाज़ा बना दिया है जिनके सामने वो आजकल सजदा कर रहे हैं । क्योंकि अतीत में भी सिंह खानदान के लोग ऐसे ही बकवास हैं । मांगते आये है अल्लाह की बात को हक़ का निशाना बना लिया है लेकिन अब इस काम के लिए मुसलमान नाम का बेटा मिला है जो गर्दन बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है । लेकिन इस अभिशापित व्यक्ति की त्रासदी यह है कि उसने खुद को बचाने के लिए जो काम किया उसकी जान चली गई और अब वह फिर से आत्महत्या करने की सोच रहा है । वसीम रिज़वी की मोहब्बत. मुल्क के तमाम उलेमाओं ने ऐलान किया है कि उन्हें भारत के किसी कब्रिस्तान में दो ज़मीन नहीं दी जाएगी और न ही कोई जनाज़े की नमाज़ अदा करेगा । सभी मुस्लिमों के विद्वानों ने सर्वसम्मति से उसे इस्लाम से बाहर घोषित किया । दे दिया गया है । उनमें शिया विद्वान मौजूद हैं । लखनऊ के एक शिया कब्रिस्तान में भी उसकी ‘जैविक कब्र’ को नष्ट कर दिया गया है, जिसे उसने अपनी जिंदगी और उस पर अपनी किताब रखी है । लगवलिया था ।
वसीम रिजवी पर इस समय जमीन संकीर्ण है । इनके परिवार ने इन्हें आदत बना दी है । उसकी पत्नी और बच्चे भी साथ छोड़ गए हैं और वह अब अनजान जगह पर गायब हो गया है । वीडियो उसने वहां से जारी किया । साफ कहा जाता है कि अगर वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हुआ तो वह ‘आत्महत्या’ कर लेगा । जाहिर है उसके पास अब आत्महत्या करने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है, अल्लाह की बात के विरोध के कारण । ईश्वर की पृथ्वी उस पर संकीर्ण है और वह चारों ओर अंधकार ही अंधकार देखता है ।
यह पहला मौका नहीं है जब किसी लानत वाले ने कुरान के खिलाफ विरोध किया हो । आपको याद होगा कि अविश्वसनीय में चांदमल चोपड़ा नाम के एक बदमाश ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और (नौधाबुल्लाह) ने पूरी कुरान पर प्रतिबंध लगा दिया था । क्या मांग थी । इस याचिका को इस समय की महिला जज पद्म खस्त गिर ने सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी थी । इस घटना के बाद भी राष्ट्रव्यापी मुसलमानों के बीच वैसी ही जान जागृत हुई थी, जैसा कि उस समय वसीम रिजवी की याचिका पर लिया गया था । पश्चिम बंगाल में उस समय साम्यवादी सरकार थी और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कम्युनिस्ट नेता ज्योति बसु मौजूद थे । घटना पर बहुत गुस्सा आया – उन्होंने घटना की निंदा ही नहीं विधानसभा में बयान देकर घोषणा भी की । क्या पश्चिम बंगाल सरकार कुरान के बचाव में इस केस को लड़ेगी । यद्यपि सभी जानते हैं कि कम्युनिस्टों को धर्म की जानकारी नहीं है और उन्हें दोहराया जाता है, लेकिन अल्लाह ने भी उनका ख्याल रखा है । कम्युनिस्ट सरकार के एडवोकेट जनरल स्पानशो आचार्य ने मोर्चा संभाला और एडवोकेट ख्वाजा मोहम्मदीउसाफ ने उनकी मदद के लिए पेश किया । दोनों ने तय किया कि कुरान की आयतों पर बहस नहीं, सिर्फ बहस होगी । सवाल यह होगा कि क्या एक स्वर्गीय धर्मग्रंथ पर मुकदमा किया जा सकता है । इस मामले के सटीक गवाह और देश के वरिष्ठ पत्रकार अहमद सईद मलिह अबादी का कहना है कि एडवोकेट जनरल स्पेंशो आचार्य ने अपनी बहस शुरू की और कुरान में एक घंटे से अधिक समय तक चली । सच्चाई पर इतना कमाल का भाषण दिया कि हाईकोर्ट के दरवाजे से सच्चाई की खामोश पुकार सुनी गई । एडवोकेट जनरल का भाषण खत्म होते ही केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल श्री प्रसन कोर्ट में पेश हुए तो कहा एडवोकेट जनरल ने किया था कुछ कहा, उन्होंने इसका समर्थन किया । सुनवाई के लिए कोर्ट में स्थानांतरित हुए जस्टिस बराक ने जल्द ही घोषणा की । उन्होंने चांद मिल चोराका मामले को डिस्चार्ज किया और कहा कि कोई स्वर्गीय किताब पर मुकदमा नहीं किया गया है । खेला जा सकता है ।
ज्योति बसु ने सर्वश्रेष्ठ शासक के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाई है और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी अटॉर्नी जनरल को कलकत्ता भेजकर अपना मानवीय कर्तव्य निभाया । लेकिन आज हालात जरूर अलग है क्योंकि आज केंद्र में इस्लाम और इस्लाम की सरकार है । ये मुसलमानों की सहकारी नहीं है, लेकिन ये ऐसी बकवास बातों को हवा देने में विश्वास रखती है । माना जाता है कि अभिशापित वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित में स्वीकार किया है, उनका मसौदा सिर्फ सिंह परिवार से है । बन्दे ने इसे इसलिए तैयार किया है क्योंकि इसमें जो आपत्ति उठाई गई है वही आपत्ति सिंह परिवार के लोग कुरान के बारे में उठाते रहे हैं । वसीम रिजवी की शर्त ये है कि न उर्दू आती है न अरबी आती है । कोई परिचित है क्या? ऐसे में पवित्र कुरान या उसकी व्याख्या समझना उसके बस की बात नहीं । उम्मीद की जानी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट न केवल सुनवाई के लिए बल्कि खामियों के लिए इस अपमानजनक और शर्मनाक याचिका को स्वीकार करेगा । शांति के डर को देखते हुए याचिकाकर्ता भी भारी जुर्माना लगाकर उस पर कानूनी कार्रवाई करेंगे ।
इस प्रमेय का एक खुशनुमा पहलू यह भी है कि इसने सभी मुस्लिमों के उलेमाओं को एक मंच पर लाया है, जो अपने मतभेदों के कारण कभी एकजुट नहीं होते । शुरू में कुछ शरारती तत्वों ने इस प्रमेय को शिया सुन्नी विवाद बना दिया । प्रस्तुति देने की कोशिश की, लेकिन इस मामले में शिया विद्वानों की बहुतायत ने वसीम रिजवी की निंदा की, जो तत्व अपने किनारे के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए राष्ट्र की रचना का प्रसार करने की कोशिश करते हैं । तथ्य यह है कि मुस्लिमों में पंथ के आधार पर लाख मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वे कुरान के मामले में एकजुट हैं । इस समय देश में इस्लाम और मुस्लिमों के खिलाफ साजिशों का सैलाब, साथ ही मांग करता है कि वे एकजुट हैं । इससे लड़ो । मतभेद की वजह से टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे तो हवा उखड़ जाएगी । कुरान एक स्पष्ट संदेश है: ′′ अल्लाह की रस्सी को मजबूती से पकड़ो और विभाजित मत करो