तीन गैस सिलेंडर का वादा: ट्रेंड सेटर बनती प्रियंका
तौक़ीर सिद्दीक़ी
कांग्रेस महासचिव और यूपी इंचार्ज प्रियंका गाँधी वाड्रा की एक के बाद प्रतिज्ञाएं विपक्षी पार्टियों के लिए लगातार समस्याएं खड़ी करती जा रही हैं। उनकी प्रतिज्ञाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लगता है कि प्रियंका गाँधी विरोधी पार्टियों के लिए ऐसा कोई भी मुद्दा नहीं छोड़ना चाहतीं जिसे वह अपना चुनावी मुद्दा कह सकें। आज भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में उन्होंने निषाद समाज और महिलांओं के लिए जो घोषणाएं कीं वह आने वाले विधानसभा चुनावों में एक ट्रेंड सेटर बन सकती हैं.
मोदी जी की उज्ज्वला योजना तो आपको याद ही होगी, वही मुफ्त रसोई गैस सिलिंडर देने वाली, हालाँकि यह योजना आज सबसे ज़्यादा आलोचना का शिकार है क्योंकि इस योजना के तहत दिए गए सिलेंडर अब कबाड़ियों के गोदामों में पड़े नज़र आ रहे हैं. एलपीजी की आसमान छूती कीमतों ने उज्जवला योजना का दीवाला निकाल दिया है, बहरहाल इसी उज्जवला योजना पर प्रियंका ने आज मोदी सरकार को घेरा और प्रतिज्ञा रैली में भारी संख्या मौजूद महिलाओं से वादा किया कि यूपी में कांग्रेस की सरकार बनने पर तीन मुफ्त सिलिंडर दिए जायेंगे।
प्रियंका ने रैली में निषाद समुदाय के लिए मछली के कारोबार को कृषि का दर्जा देने की प्रतिज्ञा भी ली. उन्होंने निषादों की नाव जलाये जाने का ज़िक्र करके इस समुदाय के उन ज़ख्मों को भी हरा कर दिया जो योगी सरकार ने दिए थे, निषादों की जली हुई नावों की बात कहकर इस समुदाय को याद दिलाया कि मौजूदा सरकार ने उनपर कितना अन्याय किया था.
उन्होंने हाथरस से लेकर लखीमपुर, आगरा तक हर उस घटना का ज़िक्र जहां प्रियंका गाँधी ने प्रदर्शन किया, आंदोलन किया और पीड़ित परिवारों को मदद भी की. प्रियंका ने पूरे प्रदेश को सन्देश दिया कि दरअसल सरकार से हर मोर्चे पर सिर्फ कांग्रेस पार्टी ने ही मोर्चा लिया है.
प्रियंका ने सपा प्रमुख के भाजपा-कांग्रेस को एक बताने वाले बयान पर भी पलटवार किया और कहा कि वह मरना पसंद करेंगी मगर भाजपा के साथ कभी हाथ नहीं मिला सकती। प्रियंका ने यह बात कहकर यह सन्देश भी दिया कि भाजपा के खिलाफ सिर्फ एक ही पार्टी खड़ी है और वह है कांग्रेस.
प्रदेश में अपराधियों को हाथों की दूरबीन से ढूंढ रहे अमित शाह पर भी प्रियंका ने बड़े सधे हुए राजनेता की तरह घेरा। प्रियंका ने बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा वाली बात कही. प्रियंका ने कहा कि उनके मंच पर लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से कुचलने के आरोपी का पिता मौजूद हो, जिसने किसानों को खुद दो मिनट में सबक सिखाने की बात कही हो, और वह दूरबीन से अपराधी ढूंढ रहे हैं जबकि वह उसके बगल में बैठा है.
प्रियंका ने गोरखपुर रैली के लिए जो दिन चुना वह भी उनकी राजनीतिक परिपक्वता को दर्शाता है. रैली में अपनी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की उन्होंने बड़े भावनात्मक अंदाज़ में चर्चा की. प्रियंका ने लोगों को उनकी शाहदत याद दिलाई, उन्होंने जानबूझकर हत्या वाले दिन कि उस बात का ज़िक्र किया जब राहुल स्कूल जाने से पहले अपनी दादी के पास गए और उन्होंने राहुल से कहा कि अगर मुझे कुछ हो जाए तो परेशान मत होना। इस घटना का ज़िक्र करके प्रियंका ने लोगों की भावनाओं को भी उभारने की कोशिश कि विशेषकर महिलाओं को सामने रखकर उन्होंने यह बात कही. महिलाऐं चूंकि जज़्बाती होती हैं इसलिए प्रियंका ने जानबूझकर यह इमोशनल कार्ड खेला।
बहरहाल अगर हम पिछले दो महीने की बात करें तो प्रदेश के राजनीतिक माहौल में तेज़ी से बदलाव नज़र आ रहा है. प्रियंका के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी लगातार विरोधी पार्टियों के लिए एजेंडा सेट करती नज़र आ रही हैं , सत्तारूढ़ दल तो परेशान हैं ही, दूसरी विपक्षी पार्टियों को भी सफाई पेश करनी पड़ रही है कि मैंने भी आंदोलन किया था. चुनाव में अभी काफी समय है, प्रियंका की यह प्रतिज्ञाएं कितना रंग लाएंगी इस बारे में अभी कोई भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है मगर यह हक़ीक़त है कि प्रियंका इस चुनाव में ट्रेंड सेटर बनती जा रही हैं.