यूपी के जेलों में क्षमता से 1.8 गुना कैदी, कैसे होगी सोशल डिस्टेंसिंग?
रिपोर्ट: उर्वशी शर्मा
कोरोना महामारी फैलने से रोकने का सबसे अधिक कारगर उपाय सोशल डिस्टेन्सिंग ही है. सभी सरकारें भी सोशल डिस्टेन्सिंग बनाने पर पूरा जोर दे रही हैं लेकिन आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की जेलों में सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन हो पाना नितांत असंभव है क्योंकि यूपी की जेलों में निर्धारित अधिकतम क्षमता से 1.8 गुना कैदी बंद हैं. चौंकाने वाला यह खुलासा लखनऊ के राजाजीपुरम स्थित सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, समाजसेवी और इंजीनियर संजय शर्मा की आरटीआई पर सूबे के कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं विभाग के अपर सांख्यकीय अधिकारी और जन सूचना अधिकारी सैय्यद नसीम अहमद द्वारा दी गई सूचना से हुआ है.
पीआईओ नसीम ने एक्टिविस्ट संजय को बताया है कि बीते 30 जून की स्थिति के अनुसार सूबे की जेलों में 1.8 गुना ओवरक्राउडिंग है. संजय को दी गई सूचना के अनुसार सूबे के 4 विशेष कारागारों की स्थिति ठीक है जहाँ क्षमता के आधे से भी कम कैदी हैं. सूबे के 6 केन्द्रीय कारागारों की स्थिति भी ठीक नहीं है और इन में निर्धारित अधिकतम क्षमता से 1.23 गुना कैदी बंद हैं. यूपी के 63 जिला कारागारों में से सबसे खराब स्थिति मुरादाबाद जेल की है जहां क्षमता से 4.85 गुना कैदी बंद हैं.
एक्टिविस्ट संजय को दी गई सूचना के अनुसार यूपी की जेलों में 54397 पुरुष कैदियों की व्यवस्था है जबकि अभी 23841 सिद्धदोष और 77509 विचाराधीन पुरुष कैदी जेलों में बंद हैं. इसी प्रकार यूपी की जेलों में 3219 महिला कैदियों की व्यवस्था है जबकि अभी 1001 सिद्धदोष और 3596 विचाराधीन महिला कैदी जेलों में बंद हैं तथा 3189 अल्प वयस्क कैदियों की व्यवस्था है जबकि अभी 12 सिद्धदोष और 3168 विचाराधीन अल्प वयस्क कैदी जेलों में बंद हैं. इस प्रकार जेलों की कुल 60805 क्षमता के सापेक्ष 24961 सिद्धदोष और 84658 विचाराधीन अर्थात कुल 109619 कैदी सूबे की जेलों में बंद हैं.
पीआईओ नसीम द्वारा एक्टिविस्ट संजय को दी गई सूचना के अनुसार सूबे की जेलों की सिद्धदोष महिला बंदियों के साथ रह रहे उनके बच्चों में 36 लड़के और 32 लड़कियां है तथा जेलों की विचाराधीन महिला बंदियों के साथ रह रहे उनके बच्चों में 176 लड़के और 209 लड़कियां हैं. यूपी की जेलों में 107 सिद्धदोष विदेशी कैदियों तथा 332 विचाराधीन विदेशी कैदियों के निरुद्ध होने की बात तो समाजसेवी संजय की आरटीआई से सामने आई ही है साथ ही यह भी खुलासा हुआ है कि यूपी की जेलों में 53 अन्य विचाराधीन कैदी भी निरुद्ध हैं.
सूबे की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की बड़ी संख्या को जेलों की ओवरक्राउडिंग का मुख्य कारण बताते हुए देश के अग्रणी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से एक संजय शर्मा ने बताया कि वे शीघ्र ही सूबे के राज्यपाल,मुख्यमंत्री और कानून मंत्री से मिलकर उनसे आग्रह करेंगे कि राज्य सरकार सीआरपीसी की धारा 436अ के तहत छोड़े जा सकने योग्य विचाराधीन कैदियों को जेलों से रिहा करने की कार्ययोजना बनाकर जेलों की ओवरक्राउडिंग को कम कर समाप्त करने की दिशा में प्रभावी कार्यवाही करके कैदियों के मानवाधिकारों के संरक्षण का कार्य करें. बकौल संजय,उनको विशवास है कि कोरोना महामारी की संवेदनशीलता के मद्देनज़र सूबे के राज्यपाल,मुख्यमंत्री और कानून मंत्री इस दिशा में प्रभावी कार्यवाही अवश्य करेंगे.