सत्ता और विपक्ष लोकतंत्र के दो पहिये: सीएम योगी
टीम इंस्टेंटखबर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सर्वानुमति से विधान सभा अध्यक्ष का निर्वाचन प्रदेश की जनता के लिए एक सकारात्मक संदेश है। लोकतंत्र के दो पहिये-सत्ता पक्ष एवं विपक्ष मिलकर उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता के सर्वांगीण विकास के कार्याें को ऊंचाई प्रदान कर ‘नये भारत का नया उत्तर प्रदेश’ बनाने में योगदान दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री आज यहां विधानभवन में सर्वसम्मति से श्री सतीश महाना के विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सर्वानुमति से इस पीठ पर निर्वाचन सुखद अनुभूति कराता है। उन्होंने सत्ता एवं विपक्ष के सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए कहा कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद सर्वानुमति अपनाने का रास्ता लोकतंत्र की गरिमा और मर्यादा को सुदृढ़ करने के साथ ही भारत की मजबूत लोकतांत्रिक परम्पराओं को और भी पुष्ट करता है।
इस मौके पर नवनिर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र के इस गरिमापूर्ण आसन पर आसीन होना किसी भी सदस्य के लिए गौरव की बात है। इससे पूर्व, 17 महानुभाव इस पद को सुशोभित कर चुके हैं। राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन इस सदन के पहले अध्यक्ष थे। श्री आत्माराम गोविन्द खेर तथा श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने तीन-तीन बार इस पद को सुशोभित किया। वर्तमान में सदन के वरिष्ठ सदस्य श्री माता प्रसाद पाण्डेय ने दो बार विधान सभा अध्यक्ष के दायित्वों का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि श्री महाना 8वीं बार इस सदन के सदस्य बने हैं, विभिन्न सरकारों में मंत्री पद के दायित्व का निर्वहन करते हुए उन्होंने अपने नेतृत्व एवं प्रशासनिक क्षमता तथा आम जनमानस के प्रति संवेदनशीलता को प्रदर्शित किया। उन्होंने भरोसा जताया कि उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष के रूप में श्री महाना सदन की परम्पराओं और मर्यादाओं को गरिमापूर्ण ढंग से आगे बढ़ाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश व प्रदेश की जनता में नकारात्मकता के लिए कोई स्थान नहीं है। जनता नकारात्मकता को नहीं, सकारात्मक, प्रगतिशील और लोक कल्याणकारक को स्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। अब हम सभी को प्रदेश के विकास, उत्थान, यहां की 25 करोड़ जनता के हितों के संवर्धन के बारे में सोचना है। प्रदेश के युवाओं, महिलाओं, किसानों, मजदूरों, गरीबों और वंचितों के सम्बन्ध में विचार करना है और उन्हें शासन की योजनाओं से मजबूती से जोड़ने के बारे में सोचना है।