नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के एक समूह ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में काफी उत्पात मचाया और हिंसा की। जिसके बाद केंद्र सरकार उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। केंद्र सरकार और पुलिस के एक्शन के डर से किसान बुधवार सारी रात नहीं सो पाए। वहीं पर भी पुलिस देर रात तक गश्त करती रही। बॉर्डर पर डटे किसानों ने भी रात भर जाग कर काटी।

कैंप की बिजली काटने का आरोप
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार पर आरोप लगाए कि पुलिस ने रात को इनके कैंप की बिजली काट दी। टिकैत ने कहा सरकार किसानों में डर का माहौल बना रही है। इसलिए लोग सारी रात जागते रहे। टिकैत ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। टिकैत ने कहा कि लाल किसे पर जो हुआ उसमें हमारा हाथ नहीं है और जिसने भी यह किया है उसके खिलाफ कार्रवाई तो होनी ही चाहिए। बता दें कि बुधवार को दिल्ली पुलिस ने एक्शन लेते हुए उन सभी किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जिन्होंने ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए दी गई शर्तों पर दस्तखत किए थे। राकेश टिकैत भी उन किसानो नेताओं में शामिल हैं।

बागपत में पुलिस ने किसानों को खदेड़ा
दूसरी ओर बागपत में पुलिस प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 40 दिन से चल रहे धरने को जबरन खत्म करा दिया। आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर एक साइड पर बैठे सैकड़ों किसानों से मौके से खदेड़ते हुए टैंट तक उखाड़ फेंक दिए और लाठियां भी फटकारी। मौके पर तनाव को देखते हुए पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है।

फिर खुला चिल्ला बॉर्डर
वहीं नए कृषि कानूनों को लेकर करीब दो माह से चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने बुधवार से अपना धरना वापस ले लिया। दिल्ली में मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसक घटना तथा राष्ट्र ध्वज के अपमान से आहत होकर भानु गुट ने धरना वापस लिया है। वहीं लोक शक्ति दल ने अपना विरोध-प्रदर्शन जारी रखने की बात कही है। नोएडा यातायात पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि बीकेयू (भानु) के विरोध वापस लेने के साथ ही चिल्ला बॉर्डर के माध्यम से दिल्ली-नोएडा मार्ग 57 दिनों के बाद यातायात के लिए फिर से खुल गया।