पुलिस की गोकशी वाली कहानी मनगढ़ंत और फर्जी
माले के जांच दल ने सिद्धार्थनगर का दौरा किया, जांच रिपोर्ट जारी की
लखनऊ
भाकपा (माले) के चार सदस्यीय जांच दल ने सिद्धार्थनगर जिले में सदर थानांतर्गत कोड़रा गांव के इस्लामनगर टोले का सोमवार की शाम दौरा किया। वहां 14-15 मई की रात पुलिस कार्रवाई के दौरान एक महिला (रोशनी, 50 वर्ष, पत्नी अकबर अली) की गोली लगने से मौत हो गई थी।
जांच दल ने मृतका के परिजनों से मिलकर संवेदना प्रकट की, घटना से जुड़े तथ्यों को एकत्र किया और लौटकर अपनी रिपोर्ट भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव को सौंप दी।
माले राज्य सचिव ने जांच रिपोर्ट मंगलवार को यहां प्रेस को जारी करते हुए कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार महिला (रोशनी) को गोली किसी अन्य ने नहीं, बल्कि उसके बेटे को अपने साथ ले जा रही पुलिस टीम ने मारी। जिस जितेंद्र यादव को पुलिस गोली मारने का आरोपी बता रही है, उसके बारे में गांववासियों का कहना है कि वह पुलिस का ही मुखबिर है और पुलिस ने खुद का दामन बचाने के लिए उसे बलि का बकरा बना दिया है।
माले जांच दल के अनुसार, पुलिस की गोकशी वाली कहानी मनगढ़ंत और फर्जी है। जांच टीम को स्थानीय युवक राजकुमार ने बताया कि गांव में कभी भी गोकशी की घटना सुनने में नहीं आई है। गांव का यह टोला (इस्लामनगर) मुस्लिम बहुल है और बंजारा समुदाय के लोग रहते हैं। यहां के निवासी मजदूरी करके और कुछ मुंबई में छोटे-मोटे काम-धंधा करके जीवन यापन करते हैं ।
जांच दल को मृतका के स्वसुर 75 वर्षीय अब्दुल हई ने बताया कि बीती 14 मई की रात्रि करीब साढ़े दस बजे 20-25 की संख्या में वर्दी व गैर-वर्दी में लोग मृतका के घर में घुस आए। उनमें कुछ पुलिस की वर्दी में थे और कुछ लोग हाफ पैंट-टीशर्ट पहने हुए थे। ज्यादातर राइफल लिए हुए थे, लेकिन कुछ जो हाफ पैंट-शर्ट में थे, रूल यानी छड़ी लिए हुए थे। इस बात की तस्दीक जांच टीम के पहुंचने पर वहां एकत्र हुए करीब डेढ़ दर्जन स्थानीय निवासियों ने भी की।
बुजुर्ग ने बताया कि उन्होंने पुलिस वालों से कारण पूछा तो उनके सीने पर रिवाल्वर लगा दी और मार देने की धमकी दी। पुलिस अंदर घर में घुसी और पत्नी के साथ सोये 30 वर्षीय अब्दुर रहमान को उठाकर खींचकर बाहर बरामदे में ले आई। तब तक अब्दुल की मां रोशनी (अब मृत) भी बरामदे में आ गई और बेटे को उठाकर ले जाने का कारण पूछने लगी।
अब्दुर पांच दिन पूर्व नौ मई को मुंबई से लौटा था और 22 मई को होने वाली अपनी बहन की शादी में शामिल होने आया था।
पुलिस बिना कुछ बताए अब्दुर रहमान को घसीट कर बाहर ले जाने लगी, तब रोशनी अपने लड़के का दोनों पैर अपने दोनों हाथ से पकड़ कर अपनी तरफ खींचने लगी। पुलिस के लोग गाली देने और गोली मार देने की धमकी देने के साथ, मां से बेटे को छुड़ाने का प्रयास करते हुए घर से करीब 30 मीटर तक घसीट कर ले गए। इस दौरान जब महिला ने अपने बेटे को नहीं छोड़ा, तो पुलिस ने पीछे से रोशनी की कमर में गोली मार दी। रोशनी के ढीले पड़ जाने पर पुलिस अब्दुल रहमान को दूर खड़ी गाड़ी में बैठाकर नौगढ़ थाने में ले गई।
गोली लगने के बाद खून से लथपथ रोशनी को परिजन मोटरसाइकिल से नौगढ़ जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
परिजन और गांववासी रोशनी का शव लेकर सड़क पर वापस आ रहे थे। तब तक अब्दुर रहमान के बारे में पुलिस से पूछने पर वह लगातार इंकार करती रही कि रहमान को वह नहीं ले आई है, वह कुछ नहीं जानती है। जब लोगों ने शव के साथ सड़क जाम करने की चेतावनी दी, तब पुलिस थाने से अपनी जीप में बैठाकर अब्दुर रहमान को परिजनों को सौंप गई। साथ ही पंचनामा बनाकर मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
माले जांच दल ने रोशनी की गोली मारकर हत्या करने वाले पुलिसकर्मियों को हत्या के आरोप में जेल भेजने, रेड डालने वाली टीम में गैर-वर्दी वालों की शिनाख्त करने सहित पुलिस की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने, घटना पर लीपापोती करने के लिए डीएम-एसपी पर कार्रवाई करने और इलाके में मुस्लिम समुदाय में फैलाए जा रहे पुलिसिया आतंक पर रोक लगाने की मांग की।
जांच दल का नेतृत्व भाकपा (माले) की राज्य स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) के सदस्य राजेश साहनी ने किया। उनके साथ टीम में राज्य कमेटी सदस्य रामलौट प्रसाद, इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) की नेत्री रेनू बाला व कामरेड शकूर आलम शामिल थे।