लखनऊ
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी पिछड़ा वर्ग विभाग के अध्यक्ष कैप्टन अजय कुमार सिंह ने आज प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि पुलवामा हमले पर जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खुलासे और पूर्व सेना प्रमुख जनरल शंकर राय चौधरी के सवालों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी की गहरी ख़ामोशी कई अनुत्तरित सवालों को फिर से खड़ा करती है।

श्री यादव ने कहा कि भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोज़गारी और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों के जवाब के रूप में भाजपा समर्थकों द्वारा पेश किए जाने वाले फर्जी राष्ट्रवाद की हक़ीक़त उजागर हो गई है। उन्होंने कहा कि यह कैसा राष्ट्रवाद है जो अपने जवानों की सलामती के लिए एयरक्राफ़्ट का अनुरोध भी ठुकरा देता है, जो वायुसेना और नागरिक उड्डयन विभाग के पास उपलब्ध रहते हैं। वायु सेना के अधिकारियों के मुताबिक एयरफ़ोर्स काट्राई सर्विस को रियर हमेशा मौजूद होता है तो फिर वह देने से मना क्यों किया गया?

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि समाचारों के अनुसार 2 जनवरी, 2019 और 3 फ़रवरी 2019 के बीच जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती मिशन की ओर इशारा करती हुई कम से कम 11 ख़ुफ़िया जानकारिया मिली थीं। इंटेलीजेंस के इनपुट्स लगातार आ रहे थे कि सुरक्षाबलों के काफ़िले सॉफ़्ट टारगेट हैं, उनके ऊपर आतंकी हमला हो सकता है। जो मूलभूत ढांचा है उसके हिसाब से इंटेलिजेंस इनपुट्स देने की जो ज़िम्मेदारी है । आईबी और रॉ जैसी ख़ुफ़िया एजेंसियों की, वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अधिकार क्षेत्र में आती है तो इन ख़ुफ़िया जानकारियों को नज़रअंदाज़ क्यों किया गया ? 2500 से अधिक जवानों के साथ 78 गाड़ियों के काफ़िले को एक साथ सड़क के रास्ते ले जाने का फ़ैसला क्यों लिया गया?

कैप्टन अजय सिंह यादव ने आगे कहा कि कोई भी बड़ा काफ़िला जब चलता है तो उसमें एंटी-आईईडी जैमर्स पहले चलते हैं, पूरे मार्ग की सैनिटाइज़ेशन की जाती है और जितनी भी लिंकरोड्स हाईवे में मिलती हैं, उन्हें कवर किया जाता है ताकि कोई हमला न हो सके लेकिन जब सीआरपीएफ ़का काफ़िला गुज़र रहा था तो लिंक रोड पर कोई रक्षा बल तैनात नहीं थे और ये एक बहुत बड़ा ऑपरेशन लैप्स था।

श्री यादव ने कहा कि 300 किलो ग्राम विस्फोटक से भरी गाड़ी जम्मू-श्रीनगर हाइवे की कड़ी सुरक्षा को चकमा कैसे दे सकी, इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक पुलवामा में कहाँ से और कैसे आया? जैसा की सत्यपाल मलिक ने कहा कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक के साथ एक गाड़ी 10 से 12 दिन तक घूमती रहे और इंटेलिजेंस नेटवर्क को इसकी जानकारी नहीं हुई। उस इलाके में काम कर चुके सेना के अधिकारियों का कहना है कि अगर 10-15 किलो आरडीएक्स होने के बारे में भी कहीं पता चलता है तो सभी सुरक्षा बल अलर्ट हो जाते हैं और उस विस्फोटक को ढूंढकर निष्क्रिय करने की कोशिश करते हैं।

उन्होंने बताया कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल शंकर रॉय चौधरी का कहना है कि पुलवामा में जवानों की शहादत की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी सरकार की है और प्रधानमंत्री को सलाह देने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी सुरक्षा में चूक के दोषी हैं। उन्होंने कहा कि इतने बड़े काफ़िले को ऐसे हाईवे पर सेन हीं गुज़रना चाहिए जो पाकिस्तानी सीमा के इतने पास हो; जहां हमला हुआ, वह घुसपैठ को देखते हुए हमेशा से एक अति संवेदनशील क्षेत्र रहा है। उन्होंने कहा कि हाईवे पर इतना बड़ा काफ़िला उतारकर सैनिकों को जोख़िम में डाला गया। जनरल रॉय चौधरी ने यह भी कहा कि सरकार अपनी ग़लती की ज़िम्मेदारी लेने से बचने की कोशिश कर रही है।

श्री यादव ने कहा कि सवाल यह है कि क्या पुलवामा हमले के लिए किसी अधिकारी, मंत्री, सलाहकार, शासकीय इकाई की जवाबदेही तय की गई ? इसके लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों के ख़िलाफ़ ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यहां यह बात याद रखने वाली है कि 26/11 मुंबई हमले के बाद तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री आर. आर. पाटिल ने इस्तीफ़ा दे दिया था।

कैप्टन अजय सिंह यादव ने कहा कि हमारे जवान अपनी जान जोखिम में डालकर देश की एकता और अखंडता को बचाने के लिए सीमा पर निष्ठा और निर्भीकता से डटे हुए हैं लेकिन अगर उन्हें इंटेलिजेंस नेटवर्क की सहायता न मिले तो उनके लिए काम करना बड़ा मुश्किल हो जाएगा।

श्री यादव ने कहा कि पुलवामा में 40 जवानों की शहादत हुई चार साल बीत चुके हैं और देश को जानने का हक़ है कि किनकी ग़लतियों की वजह से पाकिस्तानी आतंकवादियों के कुत्सित मंसूबों को कामयाब होने देने में किस-किस ने मदद की ? सरकार में बैठे किन किरदारों की चूक की वजह से हमारे सैनिकों को शहादत देनी पड़ी और सरकार किनको बचा रही है ?

उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सरकार से मांग करती है कि प्रधानमंत्री मोदी इस महत्वपूर्ण मामले पर चुप्पी तोड़ें। राष्ट्रहित में पुलवामा हमले पर एक श्वेत पत्र जारी किया जाए जिसमें सरकार यह बताए कि किस तरह हमला हुआ, कहां कोताही हुई ? इंटेलिजेंस की क्या नाकामी रही ?जवानों को एयरक्राफ़्ट देने से मना क्यों किया गया ? सुरक्षा में क्या चूक हुई ?सीआरपीएफ़, गृहमंत्रालय, एनएसए और पीएमओ की क्या भूमिका रही ? इसके साथ ही ग़लतियों को छुपाने की कोशिशें क्यों की गयी और फिर ऐसी घटना की पुनरावृति को रोकने के लिए सरकार की ओर से क्या कदम उठाये गए हैं ?

प्रेस वार्ता में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी, उ0प्र0 पिछड़ा वर्ग विभाग कांग्रेस के चेयरमैन मनोज यादव, मीडिया संयोजक अशोक सिंह तथा प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह प्रमुख रहे।