कौम से वजीरे आजम का खिताब-मोदी जी की मजबूरी
-मो. आरिफ़ नगरामी
वजीरे आजम नरेन्द्र मोदी ने कल शाम को कौम से खिताब करते हुये ऐलान किया कि अब 18 साल से ज्यादा उमर वालों को मुफत मेें कोरोना का टीका लगाया जायेगा। उन्होंने कौम को खिताब करते हुये कहा कि मरकजी हुकूमत वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों से खुद 75 फीसद वैक्सीन की खरीदारी करेगी जब कि 25 फीसद वैक्सीन प्राईवेट अस्पतालों के लिये होगी । उन्होंने अपनी 30 मिनट की तकरीर में यह भी बताया कि कोई भी प्राईवेट अस्पताल या कम्पनी 125/- से ज्यादा की रकम वैक्सीन लगाने के लिये वसूल नहीं कर सकेगी। वाज़ेह रहे कि वैक्सीन की अलग अलग कीमतों को लेकर काफी एखतेलाफ था और यह मामला सुप्रीम कोर्ट मेें भी जेरे समाअज था जिस पर हुकूमत को दो हफताों में जवाब देना था। ख्याल रहे कि 2 जून को मरकजी हुकूमत की टीकाकारी पालिसी की सुप्रीम कोर्ट ने नक्ताचीनी करते हुये कहा था कि मुफत टीका फराहम न करने का फैसला गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने न कभी हुकूमत को हुक्म दिया था कि वह टीकाकारी मुहिम पर नजरेसानी करे और 21 दिसम्बर 2021 तक वैक्सीन की दस्तियाबी का खाका पेश करें। अदालत ने हुकूमत को यह भी हुक्म दिया था कि बजट में 35 हजार करोड की जो रकम कोरोना वायरस के लिये मुख्तस की गयी थी उसका हिसाब भी अदालत में पेश करे। इस तरह यह बात बिल्कुल वाजे हो जाती है कि कल शाम की वजीरे आजम की तकरीर सुप्रीम कोर्ट और अपोजीशन के दबाव मेें हुयी क्योंकि मरकजी हुकूमत को सुप्रीम कोर्ट के पूछे गये सवालात का जवाब देना था अपोजीशन पार्टियों का मरकजी हुकूमत पर इल्जाम है कि मई 2020 से जनवरी 2021 तक वैक्सीन न खरीद कर मुफ्त टीका लगाने का मुतालबा न मान कर बडा जुर्म किया है जिसके नतीजे में मुल्क के 3 लाख 50 हजार से ज्यादा लोगों को अपनी जानें गंवानी पडी। बात सही है कि आखिर वजह क्या है कि हुकूमत को छः महीनों में तीन बार वैक्सीन को लेकर अपने फैसले बदलने पड़े । हुकूमत का सबसे पहले हुक्म जारी हुआ कि 54 साल से उपर वालों को मुफ्त टीका लगाया जायेगा। इस पर हंगामा बरपा हो गया और हुकूमत से सवाल किया जाने लगा कि आखिर टीका क्यों नहीं लगाया जायेगा। उसके बाद मरकजी हुकूमत ने एक मई से रियासती हुकूमतों पर टीके कारी की जिम्मेदारी डाल दी और मुनाफाखोरी का रास्ता जारी कर दिया। जिससे घबरा कर मरकजी हुकूमत ने एलान किया कि मुफ्त टीका दिया जायेगा और फिर तीसरी बार एलान किया कि 21 जून से 18 साल से उपर वाले तमाम अफराद को मुफ्त टीका लगाया जायेगा।
वैसे जब जब एलान होता है मोदी जी कौम को खिताब करने वाले हैं । उन लोगों का दिल धडकने लगता है कोई सोचता है कि इस बार कहीं दो हजार के नोट न बंद हो जायें कोई सोचता है कि कहीं फिर से मुल्कगीर लाकडाउन का एलान न हो जाये। किसी को ख्याल आता है कि छत पर जाकर फिर ताली न बजाना पडे और कोई सोचता है कि कहीं 9 तारीख को चिराग जलाने का मशविरा न दे दिया जाये। मोदी जी की तकरीर से पहले काफी लोगों का यही ख्याल था कि शायद वजीरे आजम अपनी तकरीर मेें मुतनाजिआ जरई कवानीन को वापस लेने का एलान करेंगें मगर मोदी जी ने अपनी तकरीर वैक्सीन तक ही महदूद रखी। अपनी तकरीर में मुफ्त टीकाकारी का एलान किया। जो बहुत देर में और ड्रामा बाजी और सुप्रीम कोर्ट के हुक्म पर हुआ। हालांकि दुनिया के किसी भी मुल्क में टीका लगाने के लिये अवाम को पैसा नहीं देना पडा। बल्कि अमरीका में तो यह आलम है कि वैक्सीन लगवाने लोगों को मुखतलिफ इनामात दिये जा रहे हैं किसी शहर में तो एक वैक्सीन लगवाने के तहेत बीयर की दो बोतलें दी जा रही हैं तो कहीं पचास लाख से लेकर दो करोड डालर तक के इनामों वाली लाट्री के टिकट मुफत मे दिये जा रहे है। मगर हमारे मुल्क मेें अभी भी लाखों अफराद ऐसे हैं । जो वैक्सीन को मौत का टीका कहते हे। टीका लगाने वाली टीमों पर लाठी डण्डों से हमला किया जाता है। जिसकी वजह है कि मरकज़ी हुकूमत और रियासती हुकूमतों ने शहरियों और खास कर देही इलाकों में टीके की अहमियत और अफादियत पर लोगों को बेदार नहीं किया। अक्सर देही इलाके के अफराद तो कोरोना वायरस के बारे मेें जानते ही नहीं। मोदीजी ने कल जो कौम से खिताब करते हुये मुफ्त टीकाकारी का एलान किया वह दरअस्ल सप्रीम कोर्ट के उस सख्त रवैये से हुआ जिसमें अदालत ने हुकूमत की टीकाकारी मुहिम में तसावली पर जवाब तरल किया था इसी को देखते हुये पूरे मुल्क में वैक्सीन से मुतअल्लिक एक पालिसी बनाये जाने के एलान करने पर मजबूर होना पडे और अगर वजीरे आजम यह एलान न करते तो चार दिनों बाद समाअत के दौरान सुप्रीम कोर्ट को इस बात का एलान करना पडता कि पूरे मुल्क में वैक्सीन की एक ही पालिसी होगी और पूरे मुल्क में 18 सालों से उपर लोगों को बिल्कुल मुफत वैक्सीन लगेगी तो उस वक्त मोदी हुकूमत की बहुत किरकिरी होती और हुकूमत के पास इसका क्रेडिट लेने का मौका ही नहंी मिलता। मोदीजी ने अपनी तकरीर मेूं यह भी कहा किे इस मामले में सियासत नहीं होना चाहिये। हालांकि अभी तक सियासत के अलावा कुछ नहंी हुआ। देहली के वजीरे आला घर घर राशन पहुंचाना चाहते थे तो उनको इन्सानों की नहंी अपने वोटरों की खुशी दरकार थी और बीजेपी ने केजरीवाल की इस मुंहिम को रोक दिया कि कहीं अवाम को खुश करने वाली स्कीमों को नाफिज करके वह अपनी मकबूलियत कायम रखने में कामयाब न हो जायें। उनकी इस स्कीम की काट करने के लिये मोदी जी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का दायरा बढाये जाने का एलान करते हुये कह दिया कि आप अब यह स्कीम मुल्क के 80 करोड़ गरीबों तक पहुंचेगी।
वैसे अगर देखा जाये तो मुल्क की मौजूदा हालात का जिम्मेदार एलेक्शन कमीशन है क्योंकि जिस वक्त मुल्क में कोरोना के मरीज बहुत तेजी के साथ बढ रहे थे तो उसमें सियासी पार्टियों की मुखालिफत के बावजूद मल्क की पांच रियासतों में एलेक्शन कराये जिसकी वजह से कोरोना को तकवियत मिली और जहां जहां एलेक्शन कराये उन सूबों में इस वक्त कोरोना के सबसे ज़्यादा केस हैं और इन सूबों में सख्ती के साथ लाकडाउन लगा है फिर उसके बाद उत्तर प्रदेश में पंचायती चुनाव ने रही सही कसर पूरी कर दी और पंचायती एलेक्शन ने कोरोना को देहातों तक पहंुचा दिया जिसका खमियाजा मुल्क के अवाम को तीन लाख 18 हजार से ज्यादा मौतों से भुगुतना पडे। खैर जो हुआ गलत हुआ मगर अब अवाम के साथ मुल्क को काफी मोहतात रहना होगा और उनको कोरोना गाईड लाइन पर सख्ती के साथ अमल करना होगा क्योंकि पहली कोरोना लहेर के बाद जो गलती हुकूमत और अवाम ने की थीं उसका खमियाजा हमको दूसरी लहेर की सूरत में भुगतना पडा है और पड रहा है। यह बात याद रखने की है कि कोरोना की दूसरी लहेर अभी खत्म नहीं हुई ताकि यह बात भी समझ लेना चाहिये कि तीसरी लहेर की खबरें भी आ रही हैं इसका भी मुकाबला करना है। हुकूमतों को अभी से तीसरी लहेर का मकाबला करने के लिये तैयारियां मुकम्मल कर लेनी चाहिये नही तो एक बार फिर तबाही-तबाही ही होगी।