फ़र्ज़ी एनकाउंटरों में बहुजनों की हत्या का हिसाब उपचुनाव में लेगी जनता- शाहनवाज़ आलम
लखनऊ
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि योगी सरकार अपराध और दंड के मामलों में मनुवादी संघिता लागू करने की तरफ बढ़ चुकी है जिसमें पिछड़ों और दलितों को समान अपराध में सज़ा का प्रावधान था लेकिन सवर्णों को इससे छूट होती थी. ये बातें उन्होंने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 160 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुल्तानपुर की घटना साबित करती है कि योगी सरकार में पुलिस एक जातिगत अपराधी गिरोह में तब्दील कर दी गयी है जो जाति देखकर अपराधियों के खिलाफ़ कार्यवाई करती है. इसमें अलिखित नियम है कि यदि आरोपी पिछड़े, दलित और मुस्लिम होंगे तो गोली पैर, पेट या सीने में लगेगी और अगर सवर्ण और उसमें भी योगी जी के सजातीय क्षत्रिय होंगे तो उन्हें आसानी से सर्रेंडर करा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में मनुवादी पुष्यमित्र शुंग का शासन चल रहा है जिसने बौद्ध धर्म के अनुयायीओं का सर काट कर लाने पर इनाम घोषित कर रखा था. इसी स्कीम के तहत आज बहुजनों की फ़र्ज़ी एनकाउंटरों में हत्या करने वाले एसटीएफ के डीएसपी डीके शाही की पत्नी ऋतु शाही को राज्य महिला आयोग का सदस्य बनाया जा रहा है.
उन्होंने ओपी राजभर द्वारा मंगेश यादव की हत्या को जायज़ ठहराए जाने को पूरे पिछड़े समाज के लिए अपमानजनक बताया और कहा कि उनका हैसियत नेता के बजाए किसी दबंग के लठैत की रह गयी है. जिसे अपने आक़ा को खुश रखने के लिए अपने ही समाज के हितों के खिलाफ़ बोलना पड़ता है. उन्होंने कहा कि बहुजन समाज इन हत्याओं का हिसाब भाजपा को उपचुनाव में सभी सीटों पर हराकर लेगा.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि फ़र्ज़ी एनकाउंटर के मामलों में उत्तर प्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है. हाईकोर्ट को चाहिए कि वो इन कथित एनकाउंटरों पर जाँच कमेटी नियुक्त करे ताकि यह आंकड़ा सामने आ सके की योगी सरकार अब तक कितने बहुजनों की हत्या करा चुकी है. उन्होंने कहा कि ये हत्याएं भाजपा को वोट न देने वाले वर्गों को डराने के लिए की जा रही हैं. उन्होंने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि न्यायपालिका सरकार की ऐसी कार्यवाईयों पर स्वतः संज्ञान क्यों नहीं ले रही है.
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार के सह प्रभारी ने कहा कि भाजपा को वोट देने वाले पिछड़ों और दलितों को तय करना होगा कि उन्हें मुस्लिम विरोधी राज्य व्यवस्था चाहिए या संविधान का शासन चाहिए. क्योंकि दोनों एक साथ नहीं मिल सकता.