लॉकडाउन में Parle-G की लग गयी लॉटरी, तोड़ दिया आठ दशकों का रिकॉर्ड
नई दिल्ली: कोरोनावायरस के कारण लागू लॉकडाउन में बिस्किट कंपनी पारले-जी को रिकॉर्ड तोड़ फायदा हुआ है। जी हां कंपनी के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान उसकी सेल पिछले 8 दशकों में सबसे ज्यादा रही। लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई महीने में पारले-जी बिस्कुट की खपत में भारी इजाफा हुआ है। लगभग 30-40 साल में इस बिस्कुट ने पहली बार बिक्री में ऐसी जबरदस्त ग्रोथ दर्ज की है। इस बात की जानकारी पारले-जी बिस्कुट बनाने वाली कंपनी पारले प्रोडक्ट्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। पारले-जी 1938 से ही लोगों के बीच एक फेवरेट ब्रांड रहा है। कीमत 5 रुपए होने की वजह से लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर घरों में इसकी खपत बढ़ी।
इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान लोगों ने पारले-जी बिस्कुट का खूब स्टॉक भी किया। 5 रुपये में मिलने वाला पारले-जी बिस्किट का प्रवासी मज़दूरों के लिए के लिए बड़ा सहारा बना। पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों के लिए तो पारले-जी बिस्कुट अपनी भूख मिटाने का सबसे बड़ा स्रोत बना। किसी ने खुद खरीद कर खाया, तो बहुतों ने दान में पाया। यही कारण रहा कि कंपनी का अपने पारले-जी बिस्कुट की मदद से काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धात्मक बिस्कुट सेग्मेंट में पांच फीसद मार्केट शेयर बढ़ा है। इसमें से 80-90 फीसदी ग्रोथ पारले-जी की बिक्री से हुई।
पारले प्रोडक्ट्स के सीनियर कैटेगरी हेड मयंक शाह ने बताया कि ग्लूकोज का अच्छा स्रोत होने व कीमत में सस्ता होने के कारण लोगों के बीच फूड रिलीफ पैकेट बांट रही सरकारी एजेंसियों और एनजीओ ने पारले-जी बिस्कुट को प्राथमिकता दी, जिसका फायदा बिक्री में उछाल के रूप में मिला है। उन्होंने कहा कि बिक्री में ग्रोथ अभूतपूर्व रही है और इस कारण पारले अपना मार्केट शेयर करीब 5 फीसद बढ़ाने में कामयाब रहा है।
वहीं उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के समय सबसे अधिक ग्रोथ वाले समय में से एक रहा है। कम से कम पिछले 30-40 सालों में तो इस तरह की ग्रोथ नहीं देखी गई है। उन्होंने कहा कि उनके 20 सालों के बिस्कुट कंपनी में कार्यकाल के दौरान उन्होंने कभी इस तरह की ग्रोथ नहीं देखी। पारले-जी कई भारतियों के लिए सिर्फ बिस्कुट नहीं, बल्कि एक कंफर्ट फूड है। अनिश्चितता के समय में इस खपत काफी अधिक हुई है। पहले सुनामी और भूकंप के समय में भी पारले-जी बिस्कुट की बिक्री में तेजी आई थी।
पारले प्रोडक्ट्स की देश भर में कुल 130 फैक्ट्रियां हैं, इनमें से 120 में लगातार उत्पादन हो रहा था। वहीं, 10 कंपनी के स्वामित्व वाली जगह हैं। पारले-जी ब्रांड 100 रुपए प्रति किलो से कम वाली कैटेगिरी में आता है। बिस्किट उद्योग में एक तिहाई कमाई इसी से होती है। वहीं, कुल बिस्किट की बिक्री में इसका शेयर 50 फीसदी है।