भाजपा की जड़ें हिलाने का दम सिर्फ बसपा में: मायावती
टीम इंस्टेंटखबर
उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में खासकर दलित, आदिवासी, पिछड़ा व धार्मिक अल्पसंख्यक-विरोधी नीति व कार्यशैली अपनाने वाली कांग्रेस पार्टी को उखाड़ फेंकने का दमखम रखने वाली बी.एस.पी. ही गरीब-विरोधी व धन्नासेठ-समर्थक पार्टी भाजपा की भी जड़ यहाँ हिलाने में सक्षम है, इसी लोक नजरिये व राजनीतिक वास्तविकता के धरातल पर नयी जरूरत के साथ बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) यूपी यूनिट का दो-दिवसीय ज़िला व मण्डल स्तरीय समीक्षा बैठकों का लम्बा दौर आज यहाँ सम्पन्न हुआ।
यूपी में आगामी 23 जून को होने वाले दो लोकसभा उपचुनाव में से एक सीट को पूरी दमखम के साथ लड़ने का भी फैसला इस बैठक में लिया गया, जिसके सम्बंध में आज़़मगढ़़़ लोकसभा उपचुनाव के बारे में पार्टी अपना फैसला व प्रत्याशी भी काफी पहले ही घोषित कर चुकी है। लेकिन दूसरी रामपुर लोकसभा की सीट पर, पार्टी यह उपचुनाव नहीं लड़ेगी। क्योंकि इस सीट को अभी ओर मजबूत बनाने की जरूरत है। जिसे सन् 2024 के आगामी लोकसभा आमचुनाव में जरूर लड़ा जायेगा। साथ ही इस सीट पर पार्टी किसी को भी अपना समर्थन नहीं देगी। ऐसी स्थिति में अब, पार्टी के लोग यहाँ चुनाव के दौरान् अपनी पार्टी के दिये गये कार्यों को ही करने में जुटे रहेंगे।
बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी द्वारा विधानसभा आमचुनाव के बाद के पिछले लगभग दो महीने के दौरान नई रणनीति के तहत् पार्टी की जमीनी गतिविधियों व पार्टी संगठन के कार्यकलापों आदि के सम्बंध में अलग-अलग से जिला व मण्डलवार गहन समीक्षा की गई। इन बैठकों में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ-साथ जिला अध्यक्षों व अन्य जिम्मेदार लोगों ने भी भाग लिया। इन बैठकों में खासकर दिनांक 11 मार्च व फिर 27 मार्च 2022 को दिए गए नये दिशा-निर्देशों के मद्देनजर उन पर कितनी मुस्तैदी से अमल किया गया तथा क्या जरूरी बदलाव आगे के लिए किए गए हैं, इनकी भी गहराई से आमने-सामने की बैठकों में समीक्षा की गई और सौंपी गई नई जिम्मेदारियों में तेजी से लग जाने का आह्वान किया गया।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि बी.एस.पी. सीमित संसाधनों वाली पार्टी है, जिसका मुकाबला ज्यादातर बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के धनबल पर चलने वाली विरोधी पार्टियों के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों से लगातार होता रहता है। इसीलिए पार्टी व इसके जनाधार को नुमाईशी व शहखर्ची वाली बैठकों आदि से दूर रहकर छोटी-छोटी कैडर बैठकों के बल पर मजबूत बनाना होगा।
इस दो-दिवसीय बैठकों में पाया गया कि हालाँकि यूपी विधानसभा आमचुनाव के नतीजे लोगों की भरपूर लगन व मेहनत के बावजूद आपेक्षित रिज़ल्ट का नहीं आना किसी दुर्घटना से कम नहीं, किन्तु राजनीति व मिशन इसी उतार-चढ़ाव का ही नाम है, इसको समझ कर ही आगे बढ़ते रहना है तथा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के जीवन मिशन की तरह हिम्मत कतई नहीं हारना है। कोई एक राजनीतिक घटनाक्रम पार्टी में दोबारा जान फूंक देगा, जिसके लिए सतत् प्रयास जारी है।
साथ ही, खासकर इस विधानसभा आमचुनाव परिणाम के बाद सभी को यह भी अन्दाज़ा है कि बी.एस.पी. ही सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की सच्ची पार्टी है तथा इसके लिए हर प्रकार की कुर्बानी भी देने को तैयार रहती है। अपने इसी संकल्प के आधार पर यूपी में पहले कांग्रेस पार्टी को जड़ से उखाड़ने और अब भाजपा की जड़ को हिलाने की भी शक्ति इसके अन्दर मौजूद है। अगर मुस्लिम समाज का वोट समाजवादी पार्टी की बजाय बी.एस.पी. को मिल गया होता तो निश्चय ही यूपी का राजनीतिक नक्शा इस वक्त कुछ और ही होता। संभव है कि इस सोच का प्रभाव खासकर आज़मगढ़ लोकसभा उपचुनाव पर पड़े।
इसके अलावा, बी.एस.पी. ही, इंसाफ की माँग के अनुरूप, अपराधियों को उसके अपराध के अनुपात में बिना किसी जातिगत द्वेष व राजनीतिक भेदभाव के कानूनी सजा दिलाने की पक्षधर रही है तथा यहाँ के करोड़ों गरीबों, महिलाओं व उपेक्षितों आदि की सुरक्षा व उनके हक में जुल्म-ज्यादती व अराजकता के माहौल का सफाया करके उन्हें सुख-शान्ति दी है, जिसकी कमी वर्तमान भाजपा सरकार में भी देखने को मिल रही है।
वैसे सरकारी दमन के आगे आम जनता बोलने की हिम्मत भले ही न कर पा रही हो, लेकिन स्पष्ट है कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों व कार्यकलापों के कारण देश में हर जगह लोगों के जीवन से सुख, शान्ति व समृद्धि छिन गई है तथा महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि का अभिशाप बढा है। सरकारी नौकरी पहले से ही दुर्लभ है। दलितों, आदिवासियों व ओबीसी वर्गों के लिए आरक्षण का भारी बैकलाग है जबकि प्राइवेट नौकरी छूटती ही जा रही है, तो ऐसे में पेट व परिवार पालने के लिए छोटे-मोटे स्वरोजगार करने को मजबूर गरीब व बेरोजगार लोगों को अतिक्रमण हटाने के नाम पर हर दिन सरकारी जुल्म-ज्यादती व बुलडोजर के आंतक का शिकार बनाया जा रहा़ है। ऐसी गरीब-विरोधी व्यवस्था क्यों? बुलडोजर का सही इस्तेमाल सड़क निर्माण व विकास आदि में होना चाहिए, जबकि इसका उपयोग ही बदलकर आम लोगों के विनाश में लगा दिया गया है, यह अजीब विडम्बना है जिसके चर्चे हैं किन्तु सरकार इसे भी उपलब्धि मान कर चल रही है।
इसलिए धन्नासेठ-समर्थक भाजपा सरकार को रोजगार-मुक्त विकास का रास्ता छोड़कर रोजगार के अवसर बढ़ाने की नीयत विकसित करके उस हिसाब की नीति पर सख्ती से अमल करना चाहिए। पाँच वर्ष आगे का बजट आँकड़ा देकर जनता को गुमराह नहीं करना चाहिए। रोज़ी-रोटी व रोज़गार जनता के आज की भूख मिटाने की खास ज़रूरत है जिसके आधार पर ही कल का भारत खड़ा होगा। सुश्री मायावती जी ने कहा कि आम जनता के बुनियादी मुद्दों पर ही आधारित कैडर बैठकें होनी चाहिए तो बेहतर है क्योंकि सरकारों ने जनता की मूलभूत समस्याओं पर से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए धार्मिक मुद्दो व विवादों आदि की भरमार लगा दी गई है।
साथ ही, स्थानीय उपयोगों व ख़ासकर पर्यटकों आदि में लोकप्रिय यूपी की राजधानी लखनऊ की नई शान व पहचान दलित व ओबीसी समाज में जन्में महान सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों के नाम पर बने भव्य स्थलों व पार्कों आदि की दुर्दशा को दूर करने की ओर बी.एस.पी. द्वारा बार-बार सरकार से अनुरोध व माँग करने के बावजूद, इनकी लगातार हो रही उपेक्षा व अनदेखी अति-दुःखद। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार डा. अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल की रख-रखाव के लिए यूपी सरकार द्वारा मात्र एक करोड़ रूपये का ही बजटीय प्रावधान किया गया है, जो कितना उचित?