असहाब को सलवात में शामिल करने के लिए कोई हदीस नहीं: मौलाना कल्बे जवाद
आठ मुहर्रम की मजलिस में अलमदारे कर्बला हज़रत अब्बास अ.स की शुजाअत और शहादत का बयान
लखनऊ ब्यूरो
मुहर्रम की आठवीं मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना सै० कल्बे जवाद नक़वी ने क़ुरान और हदीसो की रौशनी में अहलेबैते रसूल अ.स के फज़ाएल बयान किये। मौलाना ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमाया है कि मुझ पर नाक़िस सलवात न भेजा करो। यानि मुझ पर सलवात भेजते वक़्त मेरी आल अ.स को ज़रूर शामिल किया जाये। अगर आल को रसूल से अलग किया जायेगा तो सलवात नाक़िस होगी और पैग़म्बर नाराज़ होंगे। मौलाना ने कहा कि कुछ मुस्लमान मौलवी गुमराह करते है और आल के साथ सलवात में असहाब को भी शामिल कर देते है जबकि असहाब को सलवात में शामिल करने के लिए कोई हदीस नहीं है। अज़वाजे रसूल को सलवात में शामिल करने के लिए जो हदीसे मिलती है उलमा ने तहक़ीक़ के बाद कहा हैं कि वो हदीसे मुस्तनद और मोतबर नहीं हैं।
मौलाना ने हलाते हाज़िरा पर बयान देते हुए कहा कि कोरोना प्रतिबंध को सरकार की दुश्मनी न समझे। ये प्रतिबंध अज़ादारों की भलाई के लिए हैं इसलिए एहतियाती तदाबीर इख़्तेयार कीजिये। ये वक़्ती पाबन्दी है। कोरोना महामारी के बाद अज़ादारी जैसे होती थी इंशाल्लाह उसी शान और एहतेशाम होगी ,लोग चाहे कुछ भी कहते रहे।
मौलाना ने कहा कि कश्मीर में बेहतरीन तरीक़े से मुहर्रम हो रहा है मगर आई.एस.आई का एजेंट एक पाकिस्तानी मौलवी जिसके बयानात की बुनियाद पर माहौल ख़राब हो रहा हैं। वही कश्मीरियों को उकसा रहा है के इन्क़ेलाब लो आओ। मैं कश्मीर के शियो से गुज़ारिश कर रहा हूँ कि सियासी नारे लगा कर अज़ादारी को और अवाम को ख़तरे में न डालें। एक अरसे के बाद अज़ादारी के जुलूसों को कश्मीर में बहाल किया गया हैं लिहाज़ा ग़मे इमाम हुसैन अ.स मनाये और सियासी नारे बाज़ियो से पहरेज़ किया जाये।
मजलिस के आख़िर में मौलाना ने अलमदारे कर्बला हज़रत अब्बास अ.स की शुजाअत और शहादत को तफसील के साथ बयान किया है। मजलिस के बाद अज़ादारों ने हज़रत अब्बास अ.स की शहादत की याद में नौहा ख़्वानी और सीना ज़नी की।