लखनऊ
निर्माण मजदूर कर्मकार कल्याण बोर्ड की पिछले 6 महीने से बंद पड़ी वेबसाइट को तत्काल चालू करने ताकि मजदूरों के पंजीकरण, नवीनीकरण और हित लाभ मिलने जैसे काम हो सके, लेबर ऑफिस में पेंडिंग पड़े हित लाभों को तत्काल देने, लेबर अड्डे पर शेड, पीने के पानी और शौचालय की व्यवस्था करने, हीट वेव्स से मजदूरों को बचाने के लिए कार्य स्थलों पर न्यूनतम सुविधा उपलब्ध कराने और लेबर सेस का कलेक्शन बढ़ाने जैसी मांगों को लेकर आज असंगठित क्षेत्र के साझा मंच का प्रतिनिधिमंडल सचिव बोर्ड आईएएस गजला भारद्वाज से गोमती नगर स्थित बोर्ड कार्यालय में मिला। प्रतिनिधिमंडल में वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, उत्तर प्रदेश संयुक्त निर्माण मजदूर मोर्चा के संयोजक प्रमोद पटेल और एटक के जिला मंत्री रमेश कश्यप मौजूद रहे। प्रतिनिधिमंडल को सचिव बोर्ड ने आश्वस्त किया कि बोर्ड में वेबसाइट में सेंध लगाकर हुए धन के गबन के संबंध में किया जा रहा ऑडिट का कार्य पूरा हो चुका है और 10 जुलाई तक बोर्ड की वेबसाइट को चालू करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने प्रतिनिधि मंडल से कहा कि लेबर अड्डों के लिए शीघ्र ही जिलाधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा और स्थान को चिन्हित करके वहां बोर्ड की तरफ से न्यूनतम सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। लखनऊ में एक माडल लेबर अड्डा बनाने के सुझाव को स्वीकार कर इस दिशा में कार्रवाई करने और अन्य बातों को भी अतिशीघ्र पूरा करने का उन्होंने आश्वासन दिया।

इसके बाद साझा मंच के प्रतिनिधिमंडल ने असंगठित क्षेत्र कर्मकार कल्याण बोर्ड के सचिव शक्ति सेन मौर्य से इंदिरा भवन कार्यालय में मुलाकात की। उनको ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 8.5 करोड़ असंगठित मजदूरों के लिए दुर्घटना बीमा, मृत्यु अंतेष्टी सहायता, पेंशन, पीएम आवास, पुत्री विवाह योजना, मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड आदि योजनाओं को लागू करने के संबंध में पत्रक दिया। पत्रक में उत्तर प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी का तत्काल वेज रिवीजन करने के बाद भी उठाई गई है। मजदूर नेताओं ने घरेलू कामगार, बुनकर, चिकनकारी,जूता जैसे घरेलू व कुटीर उद्योग में लगे लोगों, चालकों, कुली, पल्लेदार जैसे असंगठित मजदूरों के लिए तत्काल सहायता देने की बात उठाई। बोर्ड की तरफ से वार्ता में सचिव बोर्ड के अलावा सहायक श्रम आयुक्त डॉ. महेश कुमार पांडे भी मौजूद थे। बोर्ड सचिव ने आश्वासन दिया कि इस संबंध में शासन स्तर पर कार्रवाई चल रही है और ट्रेड यूनियनों की सलाह लेते हुए असंगठित मजदूरों के लिए नीति का निर्माण किया जायेगा।