न्यूज़ीलैण्ड का नाटक और क्रिकेट की हार
तौक़ीर सिद्दीक़ी
मेनचेस्टर टेस्ट रद्द होने के बाद न्यूज़ीलैण्ड का पाकिस्तान दौरा रद्द होना विश्व क्रिकेट के लिए के लिए अच्छी बात नहीं। हालाँकि दोनों घटनाओं की वजह भले ही अलग है मगर जिन हालात में इन दोनों मामलों में यह फैसले लिए गए उससे क्रिकेट जगत में एक नयी परंपरा की शुरुआत हो सकती है. एक टीम जिसका सिक्योरिटी एडवाइज़र पिछले चार महीने से पाकिस्तान में है और उसकी हरी झंडी के बाद ही वह टीम वाया बांग्लादेश पाकिस्तान पहुंची। जो टीम पिछले तीन दिन से पिंडी स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रही हो और उसे कोई खतरा न महसूस हुआ हो, ऐन मैच वाले दिन टॉस होने आसपास पहले मैच, फिर श्रंखला और फिर पूरा दौरा रद्द करने के एलान ने पूरी दुनिया ए क्रिकेट को चौंका दिया, सिर्फ एक सिक्योरिटी थ्रेट पर जिसकी जानकारी उसे किसी और देश से मिली हो और फिर उस थ्रेट के बारे में मेज़बान देश को जानकारी न देना, उस देश के प्राइम मिनिस्टर के आश्वासन को न मानना अपने आप में सबकुछ एक कहानी जैसा लगता है.
न्यूज़ीलैण्ड को ऐसी क्या धमकी मिली और कहाँ से मिली, किस संगठन से मिली, क्या वह कोई आतंकी संगठन है, ब्लैककैप्स को यह बताना चाहिए। उस धमकी को पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसियों से, पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड से साझा करना चाहिए ताकि यह समझा जा सके कि यह वाकई गंभीर मामला है या सिर्फ सनसनी पैदा करने की कोशिश। याद रखिये कि न्यूज़ीलैण्ड 18 साल बाद पाकिस्तान पहुंची है. पाकिस्तान की क्रिकेट के लिए उसका यह दौरा बहुत महत्त्व रखता है. 2009 में श्रीलंका की टीम पर पाकिस्तान में हुए आतंकी हमले के बाद दस साल तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट इस देश से दूर रही. बड़ी मुश्किलों से पाकिस्तान में धीरे धीरे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली हुई और बाहरी टीमों ने पाकिस्तान जाना शुरू किया, ऐसे में न्यूज़ीलैण्ड के अचानक इस तरह दौरा रद्द करने से पाकिस्तान की क्रिकेट को बहुत बड़ा धक्का लगा है।
पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली के बाद वेस्टइंडीज, श्रीलंका (जो आतंक का शिकार भी बनी थी), बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका, ज़िम्बाब्वे वहां का दौरा कर चुकी हैं, इसके अलावा PSL का भी लगातार आयोजन हुआ है जिसमें विदेशी खिलाड़ी बेख़ौफ़ होकर खेले हैं. किसी को भी कभी भी सिक्योरिटी थ्रेट नहीं मिला है, क्योंकि पाकिस्तान में आने वाली हर टीम को वह सुरक्षा मोहय्या कराई जाती है जो किसी देश के सर्वोच्च नेता के लिए अरेंज की जाती है. इन सबके बावजूद न्यूज़ीलैण्ड ने जिस तरह दौरा रद्द किया है उससे जहाँ पूरा पाकिस्तान सदमे और गुस्से में है वहीँ पूरी दुनिया के क्रिकेट फैंस इस दौरे के रद्द होने से निराश हैं.
वैसे तो दौरा रद्द होने के पीछे बहुत सी बहुत बातें सामने आ रही हैं जिसमें वैश्विक राजनीति भी शामिल है मगर बात अगर सिर्फ खेल की करें तो सभी को मालूम है इस तरह अचानक सुरक्षा कारणों से (जिनका सोर्स भी अबतक छुपाया जा रहा है) किसी मेहमान टीम द्वारा एकतरफा तौर पर दौरा रद्द करने से न सिर्फ मेज़बान देश के बोर्ड के लिए आर्थिक रूप से एक बहुत बड़ा झटका होता है बल्कि उस देश की प्रतिष्ठा और मान सम्मान को भी बहुत बड़ी ठेस पहुँचती है और कहीं न कहीं दो देशों के बीच सम्बन्ध भी ख़राब होने का अंदेशा रहता है.
इस तरह की घटनाओं से इस बात को तो बल मिलता ही है कि जो आज न्यूज़ीलैण्ड ने पाकिस्तान के साथ किया वही कल पाकिस्तान न्यूज़ीलैण्ड के साथ सकता है. उसे भी कोई अनजाने सोर्स से धमकी मिल सकती है जिसका हो सकता है कि कोई वजूद ही न हो और हो भी तो वह इतना गंभीर न हो कि किसी देश की सुरक्षा व्यवस्था उससे निपट न सके. न्यूज़ीलैण्ड ने इस मामले में जिस तरह की जल्दबाज़ी और अड़ियल रुख दिखाया उसे पहली नज़र में तो बिलकुल सही नहीं ठहराया जा सकता। अब देखना है कि न्यूज़ीलैण्ड उस सिक्योरिटी थ्रेट के बारे में विस्तार से जानकारी कब देता है. अगर उसको मिली धमकी में दम है तब तो ठीक वरना आने वाले वक़्त में क्रिकेट के खेल के लिए बहुत बुरा साबित होने वाला है.
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी संकेत दे दिया है कि मामला ICC तक जायेगा और वहां तक मामला जाने का मतलब है कि आर्थिक नुकसान से लेकर खेल संबंधों तक बात पहुंचेगी। पाकिस्तान क्रिकेट को रमीज़ राजा के रूप में नया चेयरमैन अभी अभी मिला है, यह उनके लिए सिर मुंडाते ही ओले पड़ने वाली बात हो गयी है मगर उनके तीखे तेवरों से तो यही लगता है कि वह न्यूज़ीलैण्ड को आसानी से छोड़ने वाले नहीं। इस पूरे मामले को अगर गंभीरता से नहीं हल किया गया तो फिर इसका असर विश्व कप पर भी पड़ सकता है. देखने वाली बात यह होगी कि न्यूज़ीलैण्ड को क्या वाकई सीरियस धमकी मिली थी या फिर यह उनका नाटक (ओवर रिएक्शन ) भर था जिसने पाकिस्तान की क्रिकेट को बहुत गहरी चोट पहुंचाई, जिसका घाव भरने में पाकिस्तान को एकबार फिर नए सिरे से कोशिश करनी होगी। पर कुछ भी हो, इस पूरे घटनाक्रम में हार तो क्रिकेट की ही हुई है.