नेतन्याहू ने हमास हमले में नाकामी की बात स्वीकारी
तेल अवीव:
इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है। इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू चारों तरफ से घिरे हुए हैं। वह कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहे हैं। एक तरफ इजरायल की जनता नेतन्याहू से सवाल पूछ रही है और हमास के कब्जे में फंसे अपने परिजनों को छुड़ाने की मांग कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ इजरायल में विपक्ष नेतन्याहू को घेर रहा और सवाल पूछ रहा कि आपने सुरक्ष के बड़े-बड़े दावे किए थे, बावजूद इसके बीते 7 अक्टूबर को हमास इजरायल पर इतना बड़ा हमला करने में आखिर कैसे कामयबा रहा। जंग में मारे जा रहे बेकसूर फिलिस्तीनयों को लेकर दुनिया कई देश भी इजरायल से सवाल पूछ रहे हैं। इन सवालों के बीच नेतन्याहू ने इजरायली जनता को संबोधित किया है। इस दौरान उन्होंने अपनी नाकामी को स्वीकार किया।
इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपने संबोधन में 7 अक्टूबर की घटना की जिम्मेदारी ली। उन्होंने कहा कि उस दिन जो कुछ हुआ उसकी जांच का सामना मैं करने के लिए तैयार हूं, लेकिन जांच युद्ध के बाद तक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 7 अक्टूबर हमारे इतिहास में एक काला दिन था। हम दक्षिणी सीमा और गाजा-लिफाफा क्षेत्र में जो कुछ हुआ उसकी तह तक जाएंगे। पूरी जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि हर किसी को इस पराजय पर जवाब देना होगा, जिसमें मैं भी शामिल हूं, लेकिन यह सब जंग के बाद ही होगा।
इजरायल की जनता को संबोधित करते हुए पीएम नेतन्याहू ने कहा कि जंग के दो मुख्य लक्ष्य थे, हमास की सैन्य और शासन क्षमताओं को तबाह करके उसे खत्म करना, और हमारे बंदियों को घर वापस लाने के लिए हर संभव कोशिश करना। नेतन्याहू ने कहा कि हमास के सभी सदस्य मृत व्यक्ति हैं जो जमीन के ऊपर और नीचे, गाजा के अंदर और बाहर घूम रहे हैं।