नही है कौम से मतलब यहां शोहरत के झगड़े है, वगरना जब्र से लोगों इमामत कौन करता है
अरबाब सुख्न ने किया सम्मान समारोह एवं मुशायरा का आयोजन।
फहीम सिद्दीकी
फतेहपुर बाराबंकी – कल रात जामिया हालिमिया एजुकेशनल हाल मे बज्मे अरबाब सुख्न ने सम्मान समारोह एवं मुशायरा का आयोजन किया। प्रोग्राम की सरपरस्ती मौलाना कारी अब्दुल सत्तार बिलाली ने और सदारत वरिष्ठ शायर अब्दुल रऊफ हयात फतेहपुरी ने की निजामत मशहूर नाजिम अमीर फैसल लखनवी ने की।
इस मौके पर मुख्यरूप से पूर्व जिला पंचायत सदस्य नसीम गुड्डू,पत्रकार सय्यद खालिद महमूद,सामाजिक कार्यकर्ता शाकिर हसनी बहलीमी,पत्रकार जावेद अख़्तर मौजूद रहे। कारी परवेज यजदानी की तिलावत ए कलाम पाक से प्रोग्राम का आगाज हुआ। मुशायरा से पहले मशहूर शायर मरहूम डाक्टर तौसीफ फतेहपुरी को उनकी शायरी खिदमात के लिए जोश मलीहाबादी अवार्ड से यह अवार्ड मरहूम के भाई सहाफी फहीम सिद्दीकी,मरहूम बेताब फतेहपुरी को सागर खय्यामी अवार्ड जिसे उनके भाई गनी अहमद एवं कारी परवेज यजदानी को हमीद सिद्दीकी अवार्ड सरपरस्त कारी अब्दुल सत्तार बिलाली,मुशायरा सदर अब्दुल रऊफ फतेहपुरी एवं शाकिर हसनी बहलीमी ने देकर सम्मानित किया।
मुशायरा में शायरों द्वारा पढ़े गए अशआर –
इक हुस्न की बिजली जो शरर बार लगे है,
जल जायेगा उम्मीद का गुलज़ार लगे है।
हयात फतेहपुरी
पुकारे जाएंगे जिस वक्त उनके दीवाने,
पता नही कि मेरी भी पुकार हो की न हो।
कारी अब्दुल सत्तार बिलाली
हो नही सकता उनके घरों में फाका,
अपना खाना जो गरीबों को खिला देते है।
नसीम अख्तर कुरैशी
नही है कौम से मतलब यहां शोहरत के झगड़े है,
वगरना जब्र से लोगों इमामत कौन करता है।
मतीउल्लाह हुसैनी
किसी मजलूम की पगड़ी न उछाली जाए,
आओ बैठो कोई तरकीब निकाली जाए।
हसन नईमी फतेहपुरी
कई बार देखा दिखा कुछ भी नही,
मेरे दिल में तेरे सिवा कुछ भी नही।
वसीकुर्रहमान शफक
सुबह को परवेज़ हम हंसने लगे ये सोचकर,
वो तो जुगनू थे जिन्हे उड़ता दिया समझा किए।
कारी परवेज यजदानी
राज खुल जायेंगे रोज़ ए महशर मे जब
रूबरू होगी नेकी बदी आपकी।
सूफियान हैदर राँची
मै अकेला था चलो कोई सहारा निकला,
धूप आई तो मेरे जिस्म से साया निकला।
हस्सान साहिर
अनमोल चीज की कोई कीमत नहीं हसीब
,वो टूट जायेगा जो खरीददार हो गया।
हसीब यावर
चाहत की किसी ऐसी कहानी मे मरेंगे,
कुछ लोग यहां डूब के पानी में मरेंगे।
अमीर फैसल लखनवी
धूप शिद्दत की है जिस्म बेहाल है,
अब तो साया कोई ढूंढना चाहिए।
अतीक फतेहपुरी
इनके अलावा विनोद कुमार चौधरी, शादाब अनवर,हाफिज सलमान बिलाली, अशअर काजमी ने अपना कलाम पेश किया। मुशायरा में सय्यद आतिफ हुसैन जैदी चांद,जावेद यूसुफ,मुशीर राइनी, नूर आलम अंसारी,हाफिज सूफियाना अंसारी,शादाब खान,शेख यूसुफ,मोहम्मद अनस बिलाली एवं काफी तादाद में लोग मोजूद रहे। प्रोग्राम के आखीर मे कन्वीनर मुशायरा हस्सान साहिर ने आए हुए मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।