मेरे खुदा मेरा भारत महान हो जाए, ज़मीन हिन्द की इक आसमान हो जाए
स्वतंत्रता दिवस पर मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन
फतेहपुर, बाराबंकी।
स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर क़स्बा फतेहपुर के डायमंड मैरेज लॉन में ऑल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता डॉ0 सलमान खालिद की एवं संचालन जमील अखतर ज़ैदपूरी ने किया। ऑल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि पूर्व राज्यमन्त्री एवं प्रदेश महामंत्री नानक दिन भुर्जी,भरतीय जनता पार्टी तथा विशिष्ट अतिथि अब्दुल्ला खान डायरेक्टर दरैन ट्रैवेल्स लखनऊ, क़ैस अंसारी एस0 के0 टूर एण्ड ट्रैवेल लखनऊ, डॉ0 समर सिंह डायरेक्टर साईं अल्ट्रासाउंड एवं हॉस्पिटल फतेहपुर, निज़ामुद्दीन जिला उपाध्यक्ष अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल उत्तर प्रदेश, डॉ0 फहीम अंसारी नेशनल हॉस्पिटल फतेहपुर, मुकीतुर्रह्मान जिला उपाध्यक्ष ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसायटी उत्तर प्रदेश रहे। प्रारम्भिक संचालन करते हुए अहमद सईद हर्फ़ ने कि स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगाँठ आज अमृत महोत्सव के रूप में पूरा भारत बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मना रहा है, गाँव, नगर शहर प्रत्येक जगह तिरंगा यात्राएँ, झाँकियाँ निकाली जा रही हैं। आज प्रत्येक भारतवासी राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि रखते हुए राष्ट्र भक्ति में डूबा हुआ है और भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्रता दिलाने वाले अमर शहीदों एवं स्वतन्त्रता सेनानियों का गुणगान करते हुए उन्हें नमन कर रहा है। ऑल इंडिया मुशायरा कवि सम्मेलन में सभी अतिथियों, कवियों एवं शायरों को शील्ड भेंट की गई। जमील अखतर जैदपुरी के संचालन में होने वाले इस ऑल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन के पसंदीदा शेर इस प्रकार हैं:-
हर घर में तहज़ीब का जादू ज़िन्दा है।
जब तक हिंदुस्तान में उर्दू ज़िन्दा है।
वाहिद अंसारी मालेगाँव
नए मकां की गोद में अपने बचपन का घर भूल गया।
बीवी के ज़ेवर तू लाया, माँ की चादर भूल गया।
काविश रूदौलवी
मिटा दे हिन्दू मुस्लिम के दिलों से नफरतें या रब,
हर एक इन्सान को इन्सान से बस प्यार हो जाए।
अहमद सईद हर्फ़
वतन के नाम पर क़ुर्बान होना शान है मेरी,
मैं हिंदुस्तान के इतिहास की अनमिट कहानी हूँ।
रंजना सिंह हया
मेरे खुदा मेरा भारत महान हो जाए।
ज़मीन, हिन्द की इक आसमान हो जाए।
वसीम रामपूरी
जाने कैसा कैफ तारी है तुम्हारे शहर में,
मुस्कुराते हैं सभी और बोलता कोई नहीं।
गुलेसबा फतेहपूरी
खून की खेलेंगे होली, आग पर सो जाएँगे,
दार पर चढ़कर तिरंगा शान से लहराएंगे।
तनवीर अखतर मऊ
नफरत से मेरा दिल कभी तुम ले नहीं सकते,
तुम प्यार से जां माँगो, न इन्कार करेंगे।
वसीकुर्रहमान शफक
अमीरे-शहर की करता मुखालिफत मैं अगर,
तो मेरे शानों पे बाकी ये सर नहीं होता।
हस्सान साहिर
मन्दिर में भजन और हैं मस्जिद में अजानें,
दुनिया में मेरे देश की पहचान यही है।
जमील अखतर जैदपूरी
सामने हैं कई हसीं चेहरे,
सोचता हूँ गुलाब किसको दूँ।
वसीम मज़हर गोरखपूरी
इनके अतिरिक्त सना कौसर, वक़ार काशिफ, गुफरान चुलबुल ने भी अपने शेर एवं रचनाएँ प्रस्तुत कीं। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने शायरों एवं कवियों की रचनाओं का भरपूर आनंद लिया और खूब वाह वाह करते हुए तालियां बजाईं।अंत में कन्वीनर मुशायरा एवं कवि सम्मेलन ने सभी अतिथियों, शायरों एवं कवियों का हृदय से आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर नसीम गुड्डू, फहीम सिद्दीकी, रेहान खान, शेख शाहबुद्दीन, जावेद ठेकेदार, हाजी शेख मुतिउल्लाह, आसिफ मैनेजर, शादाब अनवर, मोहम्मद सगीर, मुईद अहमद, उस्मान राईन, मास्टर हफ़ीज़ सिद्दीकी सहित हज़ारों लोग उपस्थित रहे।