काले कृषि कानूनों की वापसी तक जारी रहेगा आंदोलन: आइपीएफ
किसान विरोधी तीनों काले कानून और मजदूर विरोधी लेबर कोड को वापस लेने, बिजली संशोधन विधेयक 2021 को रद्द करने, निजीकरण पर रोक लगाने, एमएसपी के लिए कानून बनाने, रोजगार देने जैसे सवालों पर संयुक्त किसान मोर्चा के आव्हान पर आयोजित भारत बंद के समर्थन में आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट व मजदूर किसान मंच के कार्यकताओं द्वारा प्रदर्शन किए गए।
इन प्रदर्शनों की जानकारी देते हुए आइपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी और मजदूर किसान मंच के महामंत्री डा0 बृज बिहारी ने बताया कि बिहार के सीवान में आइपीएफ प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा के नेतृत्व में जुलुस निकाला गया, सीतापुर में सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन किया गया, चंदौली के सकलडीहा में प्रदर्शन किया गया और चकिया में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदर्शन में हिस्सेदारी की गई, सोनभद्र के दर्जनों गांव में बंद के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किए गए, मऊ में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की गई, लखीमपुर खीरी में आइपीएफ प्रदेश अध्यक्ष डा0 बी. आर. गौतम के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ, लखनऊ में संयुक्त किसान मोर्चा के परिवर्तन चौक पर आयोजित प्रदर्शन में आइपीएफ कार्यकर्ताओं ने हिस्सेदारी की। प्रयागराज में युवा मंच ने रोजगार के सवाल पर 27 दिनों से जारी अपने घरने के द्वारा किसानों के बंद का समर्थन किया। वाराणसी में आइपीएफ प्रदेश उपाध्यक्ष योगीराज पटेल को पुलिस ने घर में ही नजरबंद कर दिया।
प्रदर्शन में नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से खड़ी हुई जनसम्पत्ति को देशी-विदेशी पूंजीपतियों के हाथ कौड़ी के मोल बेच रही है, विदेशी ताकतों की सेवा में दिन रात लगी हुई है। काले कृषि कानूनों के जरिए उसने खेती किसानी पर भी हमला बोला है। किसानों का जारी आंदोलन कारपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ देश को बचाने का आंदोलन है। यह आंदोलन काले कृषि कानूनों की वापसी तक जारी रहेगा। आज के सफल बंद ने इस बात को दिखाया है कि तमाम झूठे प्रचार व घोषणाओं के बावजूद देश की जनता सच्चाई जान रही है और इस सरकार को सत्ता से बेदखल करेगी।