मोदी- शाह हिंसा से मिले दर्द को नहीं समझ सकते: राहुल गाँधी
श्रीनगर:
श्रीनगर में भारी बर्फबारी के बीच आज कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का समापन समारोह हुआ। इस दौरान वहां कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी समेत पूरे कांग्रेस नेतृत्व के अलावा, विपक्षी दलों के कई नेता मौजूद थे। द्रमुक, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, भाकपा, आरएसपी और आईयूएमएल के नेता ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन पर रखी गई रैली में शामिल हुए हैं।
शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में यात्रा के समापन के अवसर पर रैली का आयोजन किया गया। इस दौरान अपने संबोधन में राहुल गांधी ने कहा कि जो भी इस बर्फबारी के बीच खड़े हैं उन्हें सर्दी नहीं लग रही। बारिश हुई लेकिन कोई भीगा नहीं। क्योंकि देश की शक्ति आपके साथ है। राहुल गांधी ने कहा कि प्रियंका के भाषण के दौरान मेरे आंखों में आंसू आए। राहुल गांधी ने कहा कि हम कन्याकुमारी से पूरे देश के अलग अलग हिस्सों से पैदल चले। मैंने सोचा था कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक चलना मेरे लिए मुश्किल काम नहीं होगा। लेकिन मैंने जो आसान काम सोचा वो मुश्किल हो गया, लेकिन मैं तमाम दर्द सहने के बाद यहां पहुंचा हूं।
राहुल गांधी ने किस्सा सुनाते हुए कहा कि रास्ते में एक जगह मेरे घुटनों में दर्द हुआ। मैंने सोचा कि अब 7-8 घंटे चलना मुश्किल है। लेकिन इस बीच एक बच्ची मेरे पास आई और बोली मैंने आपके लिए कुछ लिखा है और इसे अभी नहीं बाद में पढ़ना। फिर वो बच्ची मुझे गले लगाकर चली गई। फिर मैंने उस नोट को पढ़ा तो उसमें लिखा था कि मुझे पता है कि आपके घुटनों में दर्द हो रहा है, लेकिन आपको मैं बताना चाहती हूं कि मेरे पिता मुझे आपके साथ नहीं चलने दे रहे हैं लेकिन मैं आपके दिल में चल रही हूं। उसमें लिखा था कि मुझे पता है आप मेरे लिए चल रहे हो देश के लिए चल रहे हो। राहुल गांधी ने कहा कि उसी सेकंड मेरा दर्द गायब हो गया।
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन के मौके पर कहा कि जम्मू-कश्मीर में पैदल यात्रा करने के अपने फैसले पर भी बात की। उन्होंने कहा कि यहां यात्रा शुरू करने से पहले मुझे डर दिखाया गया। सुरक्षा को खतरा होने की बात कही गई थी। लेकिन यहां आकर पता चला कि असल में कश्मीरियत का अर्थ क्या है। राहुल गांधी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे हैंड ग्रेनेड नहीं दिया बल्कि दिल खोलकर प्यार दिया। मैं चार दिन यहां टीशर्ट पहनकर चला और चुनौती दी कि हिम्मत है तो इसके सफेद रंग को लाल कर दो। राहुल गांधी ने कहा कि मैंने फैसला लिया था कि मैं पैदल चलूंगा तो बहुत से लोगों ने मुझे डराया।
राहुल गांधी ने कहा कि हमने यह यात्रा उस विचारधारा को मजबूत करने के लिए निकाली है, जो देश की नींव रही है। मैं जानता हूं कि यदि हम मोहब्बत से खड़े होंगे और प्यार से बात रखेंगे तो हमें सफलता मिलेगी। हम उनकी विचारधारा को न सिर्फ हराएंगे बल्कि उनके दिलों से भी निकाल देंगे। हमारी कोशिश है कि बीजेपी ने जीने का एक राजनीतिक तरीका दिखाया है। हमारी कोशिश है कि हम एक और तरीका दिखाएं, जो मोहब्बत का तरीका है और हिंदुस्तान का है। हमने एक छोटा सा कदम उठाया है और हम नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने बताया कि यात्रा के दौरान मुझे दो चार बच्चे दिखे जिनके शरीर में मिट्टी लगी थी। वो भिखारी थे। मैं उनके गले लगा। मैंने देखा कि उनके पास कपड़े नहीं है। उन्हें ठंड लग रही थी वो कांप रहे थे। शायद उन्हें खाना नहीं मिला था। मैंने सोचा कि जब ये जैकेट नहीं पहन रहे हैं तो मुझे भी नहीं पहननी चाहिए। राहुल गांधी ने बताया कि इसके अलावा भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जो महिलाएं मेरे साथ चली वो रो रही थीं। बहुत सारी महिलाएं मुझसे मिलकर इमोशनल हो रही थी। राहुल गांधी ने बताया उनमें से कई महिलाएं ऐसी थी जिन्होंने मुझे बताया कि उनका रेप किया गया है, वो शोषण का शिकार हुईं है। लेकिन जब मैंने उनसे पुलिस को ये बात बताने को कहा तो उन्होंने कहा मत बताइये हम बर्बाद हो जाएंगे। राहुल गांधी ने कहा कि ये हमारे देश की सच्चाई है।
राहुल गांधी ने कहा जब मैं कश्मीर की ओर बढ़ रहा था तो मुझे ऐसा ऐहसास हुआ कि मैं अपने घर जा रहा हूं। मेरे लिए घर इमारत बराबर है, लेकिन जिसे आप कश्मीरियत कहते हो वो मेरे लिए मेरा घर है।
राहुल गांधी ने कहा कि मैं यहां तैनात सीआरपीएफ, बीएसएफ और सेना के जवानों से कहना चाहता हूं कि मैं हिंसा को समझता हूं। इसे मैं समझता हूं। जिन लोगों ने इसे नहीं देखा है, वे इसे नहीं समझ पाएंगे। पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और आरएसएस के लोग इसे नहीं समझ सकते। हम यहां 4 दिन पैदल चले। मैं आपको गारंटी देता हूं कि बीजेपी का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकता। ऐसा इसलिए नहीं कि जम्मू-कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे बल्कि वे डरते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि मैं जब 14 साल का था और स्कूल में जियोग्राफी की क्लास में था। तब मेरी एक टीचर पास आईं और कहा कि आपको प्रिंसिपल ने बुलाया है। मैं जब प्रिंसिपल के पास पहुंचा तो उन्होंने कहा कि घर से कॉल है। मैंने जब बात की तो मां के साथ काम करने वाली एक महिला जोर से चिल्लाते हुए बोली- राहुल, दादी को गोली मार दी गई।
राहुल गांधी ने कहा इसके बाद फिर जब में विदेश में था उस समय मेरे पास फिर एक फोन आया। पिता के दोस्त ने मुझे फोन किया और कहा कि राहुल एक बुरी खबर है, मैंने कहा मुझे पता है कि पापा मर गए। राहुल गांधी ने कहा कि ये बातें जो मैं कह रहा हूं वे पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को समझ नहीं आएंगे। लेकिन कश्मीर के लोग, सेना और सीआरपीएफ के लोग इसे समझ सकते हैं। पुलवामा में शहीद सैनिकों के बच्चों के दिलों पर क्या गुजरी यह मैं जानता हूं। यहां कश्मीरी लोगों की हत्या जब होती है तो क्या होता है, यह मैं और मेरी बहन अच्छे से समझते हैं। कल एक पत्रकार ने पूछा कि यात्रा से क्या हासिल करना चाहते हो। यात्रा का लक्ष्य है कि ऐसे फोन कॉल बंद हो जाएं, जहां किसी के मरने की खबरें मिलती हों।