पेगासस मामले में हलफनामा दाख़िल नहीं करेगी मोदी सरकार
सुप्रीम कोर्ट नाराज़, पूछा क्या कर रही है सरकार
टीम इंस्टेंट खबर
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पेगासस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई में केंद्र सरकार ने साफ कर दिया कि वह इस मामले पर एफिडेविट दाखिल नहीं करने जा रही है. इसकी वजह बताते हुए केंद्र ने कहा कि ऐसे मामलों में एफिडेविट दाखिल नहीं किया जा सकता. लेकिन वह जासूसी के आरोपों की जांच के लिए पैनल गठित करने को राजी है.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमना ने सख्ती भी दिखाई. उन्होंने कहा कि कोर्ट जानना चाहता है कि आखिर सरकार इस मामले पर क्या कर रही है. दरअसल, इससे पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करने के लिए दो बार वक्त लिया था, लेकिन अब उसने सीधे तौर पर इनकार कर दिया.
सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जासूसी के लिए किसी खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ या नहीं, यह पब्लिक डोमेन का मामला नहीं है. इस मामले की स्वतंत्र डोमेन विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा जांच की जा सकती है और इसे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मुद्दे पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताई. CJI रमना ने कहा कि आप बार-बार उसी बात पर वापस जा रहे हैं. हम जानना चाहते हैं कि सरकार क्या कर रही है. पब्लिक डोमेन वाले तर्क पर कोर्ट ने कहा कि हम राष्ट्रीय हित के मुद्दों में नहीं जा रहे हैं. हमारी सीमित चिंता लोगों के बारे में है. केंद्र सरकार ने समिति बनाने की बात कही इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति की नियुक्ति कोई मुद्दा नहीं है. बल्कि हलफनामे का उद्देश्य यह है कि पता चले कि आप (सरकार) कहां खड़ी है.
कोर्ट में याचिकाकर्ता पत्रकार एन राम की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जवाब दे क्योंकि नागरिकों की निजता का संरक्षण करना सरकार का कर्तव्य है. उन्होंने कहा स्पाइवेयर का इस तरह इस्तेमाल पूरी तरह अवैध है. सिब्बल ने कहा कि अगर सरकार अब कहती है कि हलफनामा दाखिल नहीं करेगी तो माना जाना चाहिए कि पेगासस का अवैध इस्तेमाल हो रहा है.