मोदी सरकार ने PFI पर लगाई पांच साल की पाबन्दी
दिल्ली:
देशव्यापी छापेमारी पीएफआई के सैकड़ों पदाधिकारियों और सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद केंद्र सरकार ने कल शाम संगठन पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. एक सरकारी अधिसूचना के मुताबिक पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों या मोर्चों को यूएपीए के तहत तत्काल प्रभाव से “गैरकानूनी संघ” घोषित किया गया है.
जानकारी के अनुसार PFI पर छापेमारी के दौरान एजेंसियों को IED बनाने का सामान मिला और देश को इस्लामिक बनाने की तैयारी के दस्तावेज मिले, साथ ही काफी कैश और कई आपत्तिजनक दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी मिलीं हैं.
स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI), जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) के साथ संबंधों का हवाला देते हुए सरकार ने PFI पर प्रतिबंध लगाया है. ीाके अलावा ऑल इंडिया इमाम काउंसिल समेत 8 दूसरे संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है. अधिसूचना में कहा गया है कि PFIऔर उसके सहयोगी गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं, जो “देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक” हैं, और उनके पास सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की क्षमता है.
अधिसूचना में आगे कहा गया कि PFI और उसके सहयोगी खुले तौर पर एक सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक संगठन के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के लिए एक गुप्त एजेंडा का पीछा कर रहे हैं. बता दें कि 17 फ़रवरी, 2007 को पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) का गठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों के विलय से बना. PFI का दावा है कि वह 23 राज्यों में सक्रिय है. सिमी पर प्रतिबंध के बाद PFI का तेज़ी से विस्तार कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों हुआ.