मनरेगा संविदा कर्मचारी:हमारे रोजगार की गारंटी कौन देगा?
मुश्ताक अली अंसारी
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा को लागू करवाने की जिम्मेदारी देशभर के लगभग 6 लाख मनरेगा संविदा कर्मचारियों पर है जहां यह योजना सारे देश के ग्रामीण मजदूरों को रोजगार की गारंटी देती है वहीं इसके अपने ही संचालन में लगे संविदा कर्मचारियों के रोजगार की कोई गारंटी नहीं है। सालों से अस्थाई तौर पर संविदा पर कार्य कर रहे मनरेगा कर्मियों का लखनऊ में धरना प्रदर्शन आंदोलन जनप्रतिनिधियों से संपर्क जारी है।
पिछले दिनों हजारों की संख्या में राजधानी लखनऊ पहुंचकर अपनी मांगों के समर्थन में धरना प्रदर्शन कर चुके हैं और वर्तमान में नरेगा नेशनल काउंसिल के पूर्व सदस्य संजय दीक्षित की अगुवाई में लखनऊ में सांसदों विधायकों और मंत्रियों की चौखट पर जाकर अपनी व्यथा कथा सुना रहे हैं। मनरेगा संविदा कर्मचारियों जो कि मनरेगा के संचालन कर्मचारी हैं का कहना है कि केंद्र सरकार आरटीआई आवेदन के जवाब में कहती है कि मनरेगा संचालन संविदा कर्मचारी राज्य सरकार के कर्मचारी हैं और राज्य सरकार फिर भी इस पर सुनवाई नहीं करती है इन कर्मचारियों को मिलने वाला मानदेय चपरासी को दिए जाने वाले वेतन से भी बहुत कम दिया जाता है इन्हें प्रशासनिक मद पर आधारित व्यवस्था के अनुसार मानदेय दिया जाता है. मनरेगा के संचालन में ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम रोजगार सेवक तथा तकनीकी सहायक ब्लॉक स्तर पर लेखा सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी और सोशल ऑडिट कोऑर्डिनेटर की तैनाती है परंतु इन सभी प्रकार के कर्मचारियों के लिए मनरेगा से6 परसेंट कंटेंजेन्सी से मानदेय का भुगतान किया जाता है जो अत्यंत कम है.
अखिल भारतीय मनरेगा संविदा कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुश्ताक अली अंसारी की मांग है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी बनाया जाए 2006 में जब मनरेगा योजना अंतर्गत ग्राम रोजगार सेवक तकनीकी सहायक लेखा सहायक कंप्यूटर ऑपरेटर अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी सोशल आईडी कोऑर्डिनेटर की नियुक्तियां हुई थी तो उसमें सिर्फ उन्हीं लोगों को नियुक्त किया गया था जिन की योग्यता सर्वोत्तम थी इस तरह से कई मेधावी छात्र जो सरकारी नौकरी के नाम पर मनरेगा से जुड़े थे वे अपनी आगे की तैयारी भी पूरी नहीं कर पाए ऐसे ही कई मनरेगा कर्मचारी बताते हैं जो मनरेगा में मेरिट के आधार पर जगह नहीं बना पाए थे वो लोग आज बेहतर नौकरियों में पहुंच गए हैं आंदोलनकारी मनरेगा संचालन के संविदा कर्मचारियों की मांग है की राज्य सरकार उनके नियमितीकरण की कार्यवाही के लिए पदों का स्थाई सृजन करें।
मनरेगा संविदा कर्मचारियों का कहना है कि जब केंद्र और राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं थी तो इनके पदाधिकारी नेता और राज्यसभा सांसद उनके आंदोलनों और धरना स्थानों पर जाकर समर्थन करते थे लेकिन जब उनकी सरकार बन गई है तब वह हमारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुश्ताक अली अंसारी बताते हैं कि 24 अगस्त 2013 को जंतर मंतर नई दिल्ली के धरने पर जगत प्रकाश नड्डा जो कि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और धर्मेंद्र प्रधान जो केंद्र सरकार में मंत्री हैं व पूर्व मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल ने धरना स्थल पर पहुंचकर मांगों का समर्थन किया था श्री अंसारी ने बताया कि प्रशासनिक मद आधारित मानदेय व्यवस्था के कारण समय पर भुगतान न होता है न हो सकता है जब तक केंद्र सरकार मनरेगा संचालन की गाइड लाइन में संशोधन करके राज्य सरकारों को स्थाई पदों के सृजन करने की व्यवस्था नहीं करती तब तक मनरेगा संविदा कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण संभव प्रतीत नहीं होता है आज बड़ा सवाल ये है कि हम संविदा कर्मचारी मजदूरों को रोजगार की गारण्टी दिलाने का काम करते हैं परन्तु हमारे रोजगार की गारण्टी कौन सरकार देगी
मोदी सरकार को चाहिए जब वह विपक्ष में थे तो मनरेगा संचालन संविदा कर्मचारियों के साथ उनकी सहानुभूति थी वह आज भी होनी चाहिए और देश भर के मनरेगा संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए कार्यवाही करनी चाहिए