लखनऊ:
पूर्व मुख्‍यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने पर शुक्रवार को तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे राजनीतिक स्‍वार्थ और संघ तुष्‍टीकरण से प्रेरित बताया है। केन्द्र द्वारा पीएफआई पर रोक लगाने को लेकर बसपा प्रमुख ने सवाल भी खड़े किए हैं.

बसपा प्रमुख ने शुक्रवार को ट़्वीट किया, ‘‘केन्द्र द्वारा पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ देश भर में की गई कार्रवाई के बाद अन्ततः अब विधानसभा चुनावों से पहले पीएफआई समेत उसके आठ सहयोगी संगठनों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। लोग इसे राजनीतिक स्वार्थ व संघ तुष्टीकरण की नीति मान रहे हैं और उनमें संतोष कम व बेचैनी ज्यादा है।’’

मायावती ने अपने अगले ट़्वीट में कहा, ‘‘यही कारण है कि विपक्षी पार्टियां सरकार की नीयत में खोट मानकर इस मुद्दे पर भी आक्रोशित व हमलावर हैं और आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग खुलेआम हो रही है कि अगर पीएफआई देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा है तो उस जैसी अन्य संगठनों पर भी प्रतिबंध क्यों नहीं लगना चाहिए?’’

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को पीएफआई पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों से ‘‘संबंध’’ रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। अधिसूचना के अनुसार, पीएफआई के आठ सहयोगी संगठनों- रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल के नाम भी यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किए गए संगठनों की सूची में शामिल हैं।