माया, मीडिया और मुसलमान
तौक़ीर सिद्दीक़ी
मुसलमानों और मीडिया को हार की वजह बताना दर्शाता है कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती कितनी खुदगर्ज़ किस्म की महिला हैं. मायावती ने विधानसभा चुनावों में शर्मनाक शिकस्त पर आज जिस तरह की प्रतिक्रिया दी है उससे लगता है कि वह मुसलमानों को एक तरह से अपना ग़ुलाम समझ रही थीं, मीडिया को तो पहले भी नापसंद करती थीं.
मायावती ने आज जिस तरह मुसलमानों को लेकर अपनी बात कही उसकी जितनी भी निंदा की जाय उतनी कम है, निंदा हो भी रही है. मायावती ने अपने काडर वोट के भाजपा में खिसकने पर तो कोई उत्तेजना प्रकट नहीं की बल्कि उसके लिए भी मुसलमानों को ही ज़िम्मेदार ठहराया। शर्म नहीं आती मायावती को , यह वही मुसलमान हैं जिसने कई बार मायावती को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचाया, आज अगर सपा के साथ खड़ा हो गया तो दुश्मन हो गया. लोग मायावती से सवाल पूछ रहे हैं कि हार के लिए मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराने से पहले अपने दलित वोट बैंक के बारे में भी बताइये, कहाँ चला गया वह जो सिर्फ एक सीट ही दिला सका, सच पूछो तो इस जीत में भी मुसलमानों की मदद शामिल है, वरना शायद नामलेवा ही कोई नहीं होता।
मीडिया से हमेशा बैर रखने वाली और यह कहने वाली मायावती कि हमारे लोग अखबार नहीं पढ़ते , टीवी नहीं देखते, ने आज मीडिया के महत्व और उसकी ताकत को स्वीकार तो किया। माया का यह कहना कि बसपा की इस दुर्दशा के लिए मीडिया ने बड़ा रोल निभाया। बहन जी मीडिया को जातिवादी बताने से पहले अपने गिरेहबान में झांककर तो देखिये, असली जातिवादी कौन है, किसने सत्ता के लिए मुसलमानों और सवर्णों को सत्ता के लिए अपनी सीढ़ी बनाया।
मायावती जी लोगों ने अगर बसपा को भाजपा की बी टीम कहा तो उसके भी कारण हैं, यूपी के चुनाव में सबने देखा कि आप कितनी सक्रिय रही हैं, सत्ताधारी भाजपा से ज़्यादा आपके निशाने पर सपा और कांग्रेस रहती थी. आपकी ख़ामोशी बहुत सी कहानियां कह रही थी, धुआं अपने आप नहीं उठता और इस उठते धुंए ने इस बात पर पूरी तरह से मुहर लगा दी कि चाहे बी टीम की बात हो या मीडिया में तैरती अफवाहें, गड़बड़ तो कहीं न कहीं थी और यह गड़बड़ी चुनाव में आपको बड़ी भारी पड़ गयी.
इस चुनाव में आपकी असली दुश्मन समाजवादी पार्टी थी न कि भाजपा और सपा को हराने की कोशिश में आपने अपनी ही पार्टी का सत्यानाश कर दिया, पता नहीं परलोक में इस समय क्या सोच रहे होंगे काशीराम? सोच रहे होंगे कि मुसलमानों को इस तरह गालियां देकर किस तरह सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाये का नारा मिटटी में मिलाया जा रहा है.
बहन जी मुसलमानों और मीडिया को कोसने से पहले अपने गिरेहबान में झांकिए। बकौल आपके मुसलमान ने आपका साथ छोड़ा लेकिन आपके अपने क्यों आप से छूट गए. दूसरों पर इलज़ाम लगाने की आपकी पुरानी आदत है, पिछले लोकसभा चुनाव में सपा से समझौता कर आपकी पार्टी को नयी साँसे मिली थीं, आपकी पार्टी का जीवन बचा था और जीवन बचते ही आप बिदक कर भाग गयी. आप हमेशा गठबंधन दल पर आरोप लगाती रहीं कि हमारा वोट उधर ट्रांसफर हुआ मगर उधर का वोट हमको नहीं मिला जबकि हकीकत उसके उलट होती थी. इस चुनाव ने साबित कर दिया कि आप जिस वोट बैंक पर इतना इतराती हैं उसमें इतना दम नहीं कि वह आपको लड़ने लायक बना सके, इसलिए दूसरों पर इलज़ाम लगाने से बचिए, वैसे भी इस तरह बयान किसी राजनेता को शोभा नहीं देते. मुस्लिम वोटों से सिर्फ भाजपा ही इंकार कर सकती है बसपा या कोई अन्य दल नहीं। बसपा भाजपा कभी बन नहीं सकती क्योंकि जब ओरिजिनल मौजूद है तो डुप्लीकेट की क्या ज़रुरत है. जिसको मुस्लिम विरोध में जाना होगा वह भाजपा के पास जायेगा बसपा के पास नहीं।