ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें अदालत ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को संवैधानिक करार दिया है। इस फैसले को मदरसों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि यह मदरसे में पढने वाले लाखों छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए राहत की खबर है।

मौलाना यासूब अब्बास ने बयान में कहा कि मुस्लिम समुदाय द्वारा चलाए जा रहे मदरसे और शिक्षण संस्थान संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत संचालित हैं, जो अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि अरबी मदरसों ने भारत की आजादी की लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई थी और आज भी वे शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। मौलाना ने बताया कि इन मदरसों के छात्र कई क्षेत्रों जैसे सिविल सेवाओं, चिकित्सा, इंजीनियरिंग और राजनीति में सक्रिय हैं और देश के विकास में योगदान दे रहे हैं।

मौलाना अब्बास ने कहा कि उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम का मसौदा राज्य सरकार द्वारा ही तैयार किया गया था, और सरकार द्वारा बनाया गया अधिनियम असंवैधानिक कैसे हो सकता है? उन्होंने मदरसों में दी जा रही शिक्षा पर भी जोर देते हुए कहा कि यहां इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ अंग्रेजी, हिंदी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और कंप्यूटर जैसी आधुनिक विषयों की शिक्षा भी दी जाती है, जिससे छात्रों को व्यापक ज्ञान प्राप्त होता है।

मौलाना यासूब अब्बास ने यह भी सुझाव दिया कि यदि सरकार मदरसों में आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है, तो इस पर मदरसा प्रबंधकों के साथ बैठकर संवाद कर सकती है। उनका मानना है कि बेहतर संवाद से मदरसों में शिक्षा का स्तर और अधिक सुधारा जा सकता है।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि अब मुस्लिम समुदाय अपने मदरसों का संचालन पूरी स्वतंत्रता के साथ कर सकेगा। मौलाना के अनुसार, यह फैसला न केवल शिक्षा के अधिकार की रक्षा करता है, बल्कि मुस्लिम समाज को अपनी परंपरागत और आधुनिक शिक्षा में संतुलन बनाए रखने की स्वतंत्रता भी देता है।