मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से सटी शाही ईदगाह को हटाने की याचिका ख़ारिज
मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित शाही ईदगाह को हटाने के लिए मथुरा की अदालत में दाखिल याचिका बुधवार को खारिज कर दी गई। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश छाया शर्मा ने श्रीकृष्ण विराजमान, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उनके आधा दर्जन भक्तों की ओर से दाखिल याचिका खारिज की।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म के पूज्य देवता हैं, वह भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जाने जाते हैं और पूरी दुनिया में उनके असंख्य भक्त एवं श्रद्धालु हैं और ऐसी स्थिति में, ‘‘यदि इसी प्रकार प्रत्येक भक्त और श्रद्धालु को वाद दायर करने की अनुमति दे दी गई तो न्यायिक एवं सामाजिक व्यवस्था चरमरा जाएगी।” न्यायाधीश शर्मा ने कहा कि प्रार्थीगण प्रश्नगत डिक्री के नातो पक्षकार हैं और ना ही न्यासी। उक्त डिक्री वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के बीच हुए समझौते के संबंध में अदालत द्वारा 1973 में दी गयी थी।
अदालत ने कहा कि ऐसे में, केवल भक्त होने के आधार पर प्रार्थीगण को वाद प्रस्तुत करने की अनुमति देना न्यायोचित और युक्तियुक्त नहीं होगा, और भक्तजन द्वारा वाद प्रस्तुत किया जाना विधि की दृष्टि से भी अनुमन्य नहीं है। वादी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीशंकर जैन और अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि उन्होंने बाहरी व्यक्तियों द्वारा यहां इस मसले पर याचिका दाखिल किए जाने से संबंधित सवाल पर अदालत को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 16 एवं 20 का हवाला दिया ओर कहा कि यह हर भारतीय नागरिक का अधिकार है कि वह कहीं भी किसी भी जनपद में अपनी फरियाद कर सकता है।
मामले की सुनवाई के लिये अदालत में राम मंदिर से संबंधित मामले में न्यायालय के फैसले के पैरा 116 का हवाला दिया गया और कहा गया कि मंदिर निर्माण की संकल्पना अमिट ओर अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। महामना मदन मोहन मालवीय आदि द्वारा ली गई यह संकल्पना मंदिर निर्माण के पश्चात भी कायम है। सुनवाई के दौरान वादी पक्ष के वकीलों ने श्री कृष्ण जन्मस्थान और कटरा केशवदेव परिसर में भगवान कृष्ण का भव्य मंदिर बनाए जाने से संबंधित इतिहास का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया और कहा कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को शाही ईदगाह प्रबंधन समिति से किसी भी प्रकार का कोई हक ही नहीं था। इसलिए उसके द्वारा किया गया कोई भी समझौता अवैध है। जिसके साथ शाही ईदगाह निर्माण के लिए कब्जाई गई भूमि पर उसका कब्जा अनधिकृत है। इन अधिवक्ताओं ने कृष्ण सखी के रूप में याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री की मांग का समर्थन करते हुए संपूर्ण भूमि का कब्जा श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने का अनुरोध किया था।