लखनऊ:
इमामबाड़ा गुफ़रान मआब में मुहर्रम की नवीं मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने कहा कि क़ुरान में अल्लाह ने ऐलान किया है की हम सबको आज़माइश में मुब्तेला करेंगे। पिछली उम्मतों का भी इम्तेहान हुआ था और क़यामत तक आने वाली हर नस्ल का इम्तेहान होगा। इम्तेहान में सफलता के लिए ज़रूरी है कि पिछली उम्मतों के इतिहास का अध्ययन किया जाये। क़ुरआन में पिछली उम्मतों के वाक़ेयात को इबरत के तौर पर वर्णित किया गया है लेकिन दुर्भाग्य से हम इन वाक़ेयात से सबक नहीं लेते। मौलाना ने तक़रीर के दौरान कहा कि दीन की हिफाज़त के लिए मासूम का होना ज़रूरी है। अल्लाह ने कायनात की शुरुआत से क़यामत तक दीन की हिफाज़त के लिए मासूम और पवित्र हस्तियों को रखा है। आज भी हमारे आख़िरी इमाम परदा-ए-ग़ैबत में मौजूद है जो कायनात की बक़ा और हिदायत के ज़ामिन है।

मजलिस के अंत में मौलाना ने करबला के शहीदों की प्यास को बयान किया। विशेष रूप से उन्होंने इमाम हुसैन (अ.स) के बेटे हज़रत अली असग़र (अ.स) की शहादत को बयान किया जो छह महीने के थे। मौलना ने कहा इमाम हुसैन (अ.स) की हक़्क़ानियत को साबित करने के लिए अली असग़र (अ.स) का ज़िक्र ज़रूरी है, इसलिए आपकी शहादत को ज़्यादा से ज़्यादा बयान होना चाहिए।

मजलिस के बाद अंजुमन हाय मातमी ने नौहा ख़्वानी और सीना ज़नी की। नौजवानों ने ज़ंजीर ज़नी और क़मा ज़नी करके करबला के शहीदों को ख़ेराजे अक़ीदत पेश किया।