एक और मस्जिद की शहादत
मो. आरिफ़ नगरामी
उत्तर प्रदेश के वजीरे आला योगी आदित्य नाथ जी के अफसरों ने सूबे मेें एक और मस्जिद को गैर आईनी और गैर कानूनी तौर पर शहीद करके अकलियतों को इशारा कर दिया है कि वह अगले साल के शुरूआती महीनों में होने वाले यूपी असेम्बली के एलेक्शन मेें हर वह हरबा इस्तेमाल करेेंगे जिससे उतर प्रदेश मेें दोबारा बीजेपी बरसरे एक्तेदार आ सके। अभी कुछ ही दिनों की बात है कि उत्तर प्रदेश के अफसरों ने जिला बाराबंकी की तहसील रामस्नेही घाट में वाके मस्जिद गरीब नवाज को सरकारी जमीन पर गैर कानूनी तामीर बताते हुये शहीद कर दिया था हालांकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मस्जिद गरीब नवाज के सिलसिले मेें किसी तरह की कार्रवाही पर 31 मई तक की रोक लगा दी थी। मगर अफसरान ने हाई कोर्ट की बात को फरामोश करते हुये 31 मई से पहले ही मस्जिद गरीबनवाज को शहीद करके गैर आईनी और गैर कानूनी काम को अन्जाम दे दिया।
अभी मस्जिद गरीब नवाज की शहादत का जख्म मुन्दमिल भी नहंी हुआ था कि मगरिबी उत्तर प्रदेश के मशहूर शहर मुजफफर नगर की तहसील खतौली मेें वाके मस्जिद जीमल की शहादत का हादसा सामने आ गया। इस शहादत में भी वही ड्रामा खेला गया कि सरकारी जमीन पर कब्जा करके गैर कानूनी तरीके से मस्जिद की तामीर करायी गयी। कहा जाता है कि मकामी पुलिस के बेगैर किसी तफतीश के मस्जिद को शहीद कर दिया गया। जब कि यह जमीन जिसपर मस्जिद जमील तामीर करायी गयी थी, वक्फ बोर्ड मेें रजिस्टर्ड है और मस्जिद के मुतवल्ली के पास रजिस्ट्रेशन के कागजात भी माजूद है। वाजे रहे कि खतौली के एस0डी0एम0 इन्द्रंकान्त द्विवेदी के इल्म में यह बात थी कि मस्जिद जीमल में गुजिश्ता पांच महीनों से बा जमाअत नमाज अदा की जा रही थी और कोरोना कर्फियू के दौरान भी जाब्तों का ध्यान रखते हुये वहां बन्द लोग पंजवक्ता नमाज अदा कर रहे थे। यह बडी अजीब बात है कि मस्जिद जमील को शहीद करने से कब्ल मस्जिद के मुतवल्ली से वक्फ के कागजात तलब नहीं किये गये। बडी अजीब बात है कि अयोध्या में वाके बाबरी मस्जिद, रामस्नेही घाट की गरीब नवाज मस्जिद और अब मुजफफरनगर के खतौली तहसील मस्जिद जीमल की गैर आईनी और गैर कानूनी शहादत का दिलदोज और अफसोसनाक वाकेआ बीजेपी के ही दौरे एक्तेदार मेें पेश आया और अभी तक बीजेपी ने या इसके किसी बडे लीडर ने शहादत के इन वाकेआत के लिये माफी तो दूर अफसोस का इजहार भी नहंी किया जो बीजेपी की फिरकापरस्त जेहनियत का खुला सुबूत है। तअज्जुब है गोदी मीडिया पर कि मुल्क के सब से बडी आबादी वाली रियासत उत्तर प्रदेश मेें पन्द्रह दिनों में मुसलमानों की दो मसाजिद जो कि वक्फ बोर्ड मेें रजिस्टर्ड थीं शहीद कर दी गयीं, मगर गोदी मीडिया के किसी भी चैनल ने इस गैर आईनी वाकेये को दिखाने की बात तो दूर खबरों में भी मुल्क के अवाम को नहंी बताया। और न ही इस पर किसी चैनल ने मुबाहेसा करवाया। लानत है ऐसी मीडिया पर जो दूर दूर मसाजिद की शहादत का हादसा अवाम की अदालत में पेश नही कर सकी। यकीन जानिये कि हमको गोदी मीडिया से अब शिकायत नहंी है क्योंकि गोदी मीडिया ने कुम्भ को भी नहंी दिखाया जिस मेें 25 लाख अफराद ने गंगाजी में डुबकी लगा कर अपने गुनाह धो डाले। मीडिया ने यह भी नहंी दिखाया कि श्रद्धालू जब अपने सूबों में वापस गये तो उन्होंने कोरोना वायरस की सौगात कितने हजार अफराद को बांटी। मीडिया ने हालिया पांच सूबों में हांेने वाले एलेक्शन मेें रैलियों में उमडती हुयी भीड को भी दिखलाया। जिसकी वजह से मगरिबी बंगाल, केरला, तमिलनाडन, आसाम और पांडुचेरी में कोरोना वायरस ने हजारों बेगुनाह अफराद की जान ले ली। गोदी मीडिया ने उत्तर प्रदेश में हुये पंचायती चुनाव में उमडी भीड को भी नहीं दिखाया जिस में बीजेपी को दन्दाने शिकन शिकश्त का सामना करना पड़ा। साथ ही एलेक्शन डियूटी देने वाले 1600 टीचरों की मौत वाके हो गयी।
कोरोना की खौफनाक, जान लेवा वबा के शिकार भले ही हर मजहब के लोग हो चुके होें मगर मुल्क में मजहब की वबा कुछ इस कदर फलती फूलती जा रही है जिस का सेहरा हिन्दुत्व की अलम्बरदार बीजेपी के भी सर बंधता है। बाबारी मस्जिद की काबिले मुजम्मत शहादत के बाद भी उत्तर प्रदेश की दो मसाजिद को कानूनी होने के बाद भी पुलिस के पहरे में शहीद कर दी गयी। आज हमारा मंुल्क बहुत ही बुरी तरह कोरोना वायरस का शिकार है मगर इसके बावजूद माब लिंचिंग और मसाजिद का पुलिस के पहरे मेें शहीद किये जाने का काम जारी है। मसाजिद के कानूनी कागजात होने के बावजूद भी मसाजिद को शहीद किया जाना गुण्डा गर्दी है। जिसे किसी भी हालत मेें कुबूल नही किया जाना चाहिये । अफसोस इस बात का है कि जैसे ही मुल्क में बीजेपी का राज कायम हुआ तब से मुल्क के हर शोबे में नागपूरी जेहनियत का अमली दखल हो गया है। उत्तर प्रदेश मेें अगले साल एलेक्शन है। इस लिये मसाजिद को शहीद करके मुसलमानों को खौफजदह और हेरासां करने की मजमूम कोशिश की जा रही है।उत्तर प्रदेश वैसे भी जराएम का मरकज बन चुका है और ऐसे मेें यूपी मेें मन्दिर मस्जिद तनाजे की जरूरत नहीं थी। मगर महज इन्तेखाबी हंगामा आराईयों को तेज और मुतफक्किर किये जाने के लिये मसाजिद को भेंट चढा दी गयी। जो हम सब मुसलमानों के लिये एक कसौटी बन कर रह गयी है। जरा सोचिये देखिएये और ख्याल कीजिये कि आज किसी भी मकाम पर लबे सडक भी कई ऐसी जगहेें मिल जायेगीं जहां छोटा मन्दिर न हो और वहां पूजा पाठ न होती हो और धीरे धीरे वह छोटी सी जगह एक बडे मन्दिर की शक्ल अख्तियार कर जाती है। जिसके दस्तावेज ही शायद ही मन्दिर के पुजारी के पास हों। अगर वाकई गैर कानूनी मजहबी मकामात का कीडा इतना ही हरकत करता हो तो गैर कानूनी हिन्दू इबादतगाहों पर भी पुलिस बन्दोबस्त के साथ मुनहमिद किया जाना वक्त का तकाजा बन कर रह गया है। अब मुसलमानों के लिये जरूरी है कि ऐसे मकामात जो वाकई हस्सास नवैयत के तहफफुज को यकीनी बनाया जाये और मस्जिदे इन्तेजामियां इस मस्जिद के अन्दर और मस्जिद के आस पास सीसीटीवी केैमरे भी नस्ब करायें ताकि किसी मुशकिल घडी में सुबूत के तौर पर पेश किये जा सकेें।
आज हमारी मसाजिद कानूनी तौर पर हमारी होने के बावजूद शरपसन्द उन्हें जब चाहें चटियल मैदान मेें तब्दील करने का मजमूम गुनाह कर सकते है। मस्जिद के मुतवल्लियों और मस्जिद की इन्तेजामियां कमेटी को चाहिये कि वह अपने अपने मोहल्लों की मसाजिद के तमाम जरूरी कागजात मुकम्मल करा लें और माहौल को पुरअम्न बनाये रखें। क्योंकि हमारा मुल्क इस वक्त कोरोना की भयानकतरीन लहेर की गिरफत में है । इस वक्त इस वेबा से मुत्तहिद होकर लडने की बेहद जरूरत है क्योंकि जब लोग जिन्दा रहेंगेें तो बाद मेें मन्दिर मस्जिद का मामला सुलझाया जा सकता है। मगर अफसोस कुछ लोग कोरोना काल में भी अपनी सियासत चमकाना चाहते है।और उत्तर प्रदेश में मसाजिद की शहादत का हादसा ऐसी मन्फी सियासत का नतीजा है जो हुकूमतें अपने शहरियों को इलाज फराहम नहंी करा सकीं, उनके और अस्पताल का इन्तेजाम नहंी कर सकीं हजारों अफराद मौत के मुुंह में चले गये । वह लोग अपनी नाकामियों को छिपाने के लिये इस तरह की हरकतें कर रहे है ताकि मजहब के नाम पर एक बार फिर बरसरे एक्तेदार आ सकें अवाम को ऐसे लोगोें को पहचान कर उनका बाईकाट करना चाहिये क्योंकि ऐसे लोग मुल्क के दुशमन है जो अपनी तकरीरों में कभी भी मुल्क की तरक्क्ी और खुशहाली की बातें नहीं करते है।सिर्फ मन्दिर और मस्जिद की बातें करके मुल्क की पुरअमन फिजा को खराब करते है।