मनोज बाजपेयी ने फिल्म “सिर्फ एक ही बंदा काफी है” का लखनऊ में किया प्रमोशन
तौक़ीर सिद्दीकी
एक्टिंग की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बना चुके बॉलीवुड स्टार मनोज बाजपेयी आज लखनऊ में थे, मौका था उनकी नई फिल्म “सिर्फ एक ही बंदा काफी है” के प्रमोशन का. ये फिल्म OTT प्लेटफॉर्म ज़ी5 पर रिलीज़ हो चुकी है और काफी पसंद की जा रही है, मनोज बाजपेयी के मुताबिक इस समय स्ट्रीमिंग चार्ट में ये फिल्म सबसे ऊपरी पायदान पर है. फिल्म की कहानी एक godman यानि धर्मगुरु की है जिसपर एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण का आरोप है, पद्म श्री और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मनोज बाजपेयी ने इस फिल्म में एक वकील पी.सी. सोलंकी का किरदार निभाया है जो पीड़ित लड़की को इन्साफ दिलाता है. धर्मगुरु को उम्र कैद की सजा के साथ फिल्म का अंत होता है, इस दौरान बहुत सी घटनाएं होती हैं जो दर्शकों को बांधें रखती हैं।
इस फिल्म का प्रमोशन करने नवाबों की नगरी पहुंचे मनोज बाजपेयी ने सभी लोगों से फिल्म देखने का निवेदन किया और इस दौरान उन्होंने इस फिल्म से हटकर भी अपने विचार मीडिया के सामने साझा किये। मनोज बाजपेयी ने सोशल मीडिया पर विवादित हेडलाइन्स लगाकर हिट्स और लाइक बटोरने वालों को भी नसीहत दी कि वह बातों को गलत ढंग से न पेश किया करें। उन्होंने फिल्म निर्माताओं को भी सलाह दी कि फिल्मों के बजट को कम रखा करें ताकि फिल्म न चलने पर ज़्यादा नुक्सान न हो क्योंकि बड़ा बजट कभी फिल्म की सफलता की गारंटी नहीं हो सकता । उन्होंने कहा कि दर्शकों को सिनेमाहाल में लाने के लिए लगातार अच्छी फिल्में बनानी होंगी।
मनोज बाजपेई ने आगे कहा कि उन्होंने अपने कैरियर में अब तक कोई भी ऐसी फिल्म नहीं की है जिससे विवाद पैदा हुआ हो. उन्होंने कहा कि कोई भी फिल्म समाज को नहीं बदलती, और ये फिल्मों का काम भी नहीं है क्योंकि समाज बदलता है व्यक्तियों से. समाज तब बदलता है जब लोग किसी चीज़ से तंग आकर सड़कों पर उतरते हैं और एक क्रांति लाते हैं. सिनेमा लोगों को जागरूक करने के लिए किसी भी आंदोलन का हिस्सा हो सकता है. उन्होंने अपने काम करने के तरीके के बारे में कहा कि वो कोई भी काम बिना तैयारी के नहीं करते और अपना 200 प्रतिशत देने की कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा कि यह फिल्म एक कोर्टरूम ड्रामा है और मैंने ऐसा किरदार पहली बार किया है जिसे लोगों द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है.