महामुकाबला: बाबर आर्मी से बहुत विराट है कोहली सेना
तौक़ीर सिद्दीक़ी
यूएई में खेले जा रहे टी 20 विश्व कप का औपचारिक आग़ाज़ आज ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच से होना है लेकिन दुनियाए क्रिकेट की निगाहें 24 अक्टूबर को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम पर होने वाले भारत-पाक मुकाबले पर टिकी हुई हैं जिसे क्रिकेट के पंडित फाइनल से पहले का फाइनल बता रहे हैं. हमेशा की तरह इस मैच को लेकर ज़बरदस्त हाईप है. हर छोटा बड़ा, बूढ़ा बच्चा, हर वह इंसान जिसे क्रिकेट से लगाव है 24 अक्टूबर का इंतज़ार कर रहा है. टीवी चैनल्स के लिए यह दीवाली से पहले दीवाली मनाने यानी पैसा कमाने का मौक़ा है, इश्तेहरात की भरमार होगी, icc भी पैसा बटोरेगा। कुल मिलाकर इंडिया-पाकिस्तान मैच का मतलब फुल मस्ती, फुल टेंशन, खिलाड़ियों के लिए भी और फैंस के लिए भी.
भारत है भारी
वैसे तो इन चिर प्रतिद्वंदियों के बीच हर मुकाबला रोमांच से भरा होता मगर फटाफट क्रिकेट के महासमर में जब यह दोनों टीमें भिड़ती हैं तो रोमांच दो गुना होता है, अब नतीजा चाहे दांतों से नाखून काटने वाला हो या फिर एकतरफा जीत वाला। याद कीजिये पहले टी 20 विश्व कप को, जब यह दोनों टीमें दो बार आपस में भिड़ी थीं. क्या कांटे की टक्कर हुई थी दोनों मैचों में, रोमांच की पराकाष्ठा पर पहुंचे थे दोनों मैच, एकदम पैसा वसूल वाले। लीग दौर में मैच टाई हो गया, फैसला बॉल आउट के जरिये किया गया जिसमें भारत ने जीत हासिल की। बता दें, बाल आउट में दोनों टीमों को एक ओवर मिलता है, जो टीम ज़्यादा बार स्टंप्स को हिट करती है उसे विजेता घोषित किया जाता है, उस वक्त सुपर ओवर का नियम नहीं था. इस मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 141 रन बनाये थे लेकिन पाकिस्तान टीम भी 20 ओवर में 141 रन ही बना पाई और मैच टाई हो गया। फाइनल में एकबार दोनों की आपस में टक्कर हुई और जब पाकिस्तान जीत के बिलकुल करीब था, धोनी ने गेंद जोगिन्दर सिंह को थमाकर सबको हैरान कर दिया था, एक बहुत बड़ा जुआ खेला था धोनी ने. मिस्बाहुल हक़ 43 रन पर खेल रहे थे फिर उन्होंने चौके के लिए पैडल स्वीप खेला और डीप लेग स्लिप एरिया में सर्किल पर खड़े श्रीसंत ने उनका कैच पकड़कर मैच को भारत की झोली में डाल दिया। जोगिन्दर को लोग सिर्फ उसी ओवर के लिए जानते हैं.
इसके बाद दोनों टीमें 2012 के टी20 विश्व कप के सुपर-8 राउंड में एक-दूसरे से भिड़ीं. इस मैच में पाकिस्तान की टीम 128 रन पर आउट हो गई थी. विराट कोहली ने 61 गेंद में 78 रन की पारी खेलकर टीम को बड़ी आसानी से जीत दिला दी थी. चौथी बार 2014 के टी20 विश्व कप में टक्कर हुई. इस बार भी जीत टीम इंडिया को नसीब हुई. तब भारत ने पाकिस्तान को 7 विकेट से रौंदा था. आखरी बार दोनों का मुकाबला 2016 में कोलकाता में हुआ, वर्षा से प्रभावित इस मैच को भी भारत ने 6 विकेट से जीत लिया था. तो रिकॉर्ड अभी भारत के पक्ष में 5-0 से है. ज़ाहिर सी बात है कि पाकिस्तान के बारे में कुछ कहने को है ही नहीं.
बाबर का इम्तेहान
पाकिस्तान के कप्तान बाबर आज़म के लिए यह मैच एक बड़ा इम्तेहान है, किसी विश्व कप मुकाबले में एक खिलाडी और कप्तान की हैसियत से भारत के खिलाफ उनका यह पहला मैच है. बाबर आज़म का शुमार पाकिस्तान के बड़े बैटर्स में होने लगा है, उनके बल्ले से लगातार रन्स निकल रहे हैं, पाकिस्तान टीम की बल्लेबाज़ी काफी कुछ उनपर निर्भर करती है, ऐसे में इतने बड़े मैच में दबाव से दूर रहना उनके लिए काफी मुश्किल होगा ऊपर से उनपर कप्तानी की ज़िम्मेदारी अलग. सभी जानते हैं कि भारत के खिलाफ मैच में पाकिस्तान की टीम कितनी नर्वस रहती है और कई बार जीत का स्वाद चखते चखते निवाला मुंह से छिन जाता है, 2007 के पहले टी 20 विश्व कप से बढ़कर और क्या मिसाल होगी जब दो बार नसीब ने उनको धोखा दे दिया। बाबर के लिए न सिर्फ एक बल्लेबाज़ के तौर पर बेहतर करना होगा बल्कि कप्तानी के दौरान अपने दिमाग़ को भी काबू में रखना होगा। ऐसे प्रेशर वाले मैच में मैच में जीतने के लिए कप्तानी का फैक्टर बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. पाकिस्तान टीम में बल्लेबाज़ी सलाहकार के रूप में शामिल हुए ऑस्ट्रेलिया के पूर्व आक्रामक बल्लेबाज़ मैथ्यू हेडन ने भी शांतचित कप्तानी की सलाह दी है और पैनिक से बचने को कहा है.
कप्तान कोहली पर दबाव
एक बल्लेबाज़ और कप्तान के रूप में वैसे तो कोहली बहुत विराट हैं मगर यह विश्व कप है. तो उनपर कोई दबाव नहीं होगा यह कहना गलत होगा और फिर मुकाबला पाकिस्तान से जिससे भारत कभी हारा नहीं। दरअसल दबाव इसी बात का होगा क्योंकि कोहली पहले ही कह चुके हैं कि इस विश्व कप के बाद वह इस फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ देंगे, तो ऐसे में कोहली कभी नहीं चाहेंगे कि पाकिस्तान से हार का धब्बा उनके क्रिकेट कॅरियर पर लगे. पाकिस्तान की तो भारत से हारने की आदत पड़ चुकी है मगर भारत के साथ अगर भगवान् न करे ऐसा हुआ तो भारत में करोड़ों क्रिकेट के दीवानों के दिल पर क्या गुज़रेगी, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है. बस दबाव इसी बात का है वरना भारत और पाकिस्तान की टीम में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है फिर भी क्रिकेट के इस फॉर्मेट अनिश्चितता बहुत है क्योंकि सिर्फ दो तीन गेंदे ही पूरा मैच बदल देती हैं और वापसी की उम्मीद बहुत कम होती है.
कौन कितना मज़बूत, कितना कमज़ोर
पहले भारत की बात, पाकिस्तान के मुकाबले हर क्षेत्र में बहुत मज़बूत। इन्फॉर्म बल्लेबाज़ों की एक लम्बी लाइन है. राहुल, रोहित, कोहली, सूर्यकुमार, ऋषभ पंत, ईशान किशन। फिर आल राउंडर के रूप में जडेजा और शार्दुल। गेंदबाज़ी भी कमाल है, बुमराह, शामी बेजोड़ हैं, अश्विन कमाल के हैं. अगर कमज़ोरी की बात करें तो वह सिर्फ एक ही दिख रही है कि हार्दिक पंड्या का गेंदबाज़ी न कर पाना, मगर वह ऐसे तूफानी बल्लेबाज़ हैं कि कोई भी टीम उन्हें सिर्फ बल्लेबाज़ के तौर भी खिलाना पसंद करेगी।
वहीँ अगर पाकिस्तान टीम की बात करें तो कमज़ोरियों का तो वहां अम्बार लगा हुआ, इतनी हैं कि यहाँ सबकी चर्चा भी नहीं की जा सकती, पाकिस्तान की बल्लेबाज़ी का सारा दारोमदार उनके पहले तीन बल्लेबाज़ों कप्तान बाबर आज़म, विकेटकीपर मोहम्मद रिज़वान और फखर ज़मान पर है, यह तीनों सस्ते में आउट मतलब पाकिस्तान का पुलिंदा बांध गया क्योंकि पाकिस्तान की टीम पिछले दो सालों से मिडिल आर्डर की समस्या से जूझ रही है और अभी तक कोई हल नहीं निकाल पायी है, मजबूरन उन्हें वापस अपने पुराने खिलाडियों मोहम्मद हफ़ीज़ और शोएब मलिक को वापस बुलाना पड़ा जिसमें से हफ़ीज़ पिछले कई मैचों बल्ले से कुछ खास कर नहीं पाए है, फिर ये दोनों उम्र के उस पड़ाव में हैं जब क्रिकेटर या तो कोच बन चुके होते हैं या कमेंटेटर। गेंदबाज़ी में भी शाहीन आफरीदी, हारिस रऊफ और हसन अली भले ही आक्रामक गेंदबाज़ी करते हों मगर खर्चीले बहुत हैं, फील्डिंग को तो पाकिस्तान की टीम कभी सीरियस लेती ही नहीं, दो तीन कैच टपकना तो मामूली बात है. पाकिस्तान टीम के फेवर में सिर्फ एक ही बात है वो यह कि अगर दिन उनका है तो सामने कोई भी टीम हो कोई भी फर्क नहीं पड़ता, शायद इसीलिए दुनिया की सबसे अनप्रेडिक्टेबल टीम कहा जाता है.
मैच से तय होगी आगे की राह
चूंकि दोनों टीमों का टूर्नामेंट में यह पहला मुकाबला होगा, इसलिए दोनों ही टीम के लिए मैच का महत्त्व और बढ़ जाता है. दोनों ही टीमों के लिए इस मैच में हार जीत से आगे राह तय होगी। पाकिस्तान के लिए हार भले ही उन्हें ज़्यादा प्रभावित न करे क्योंकि हालातों को देखते हुए जीत उनके लिए एक सरप्राइज़ से कम नहीं होगी, उसी तरह भारत के लिए जीत कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी, हाँ! परिणाम उल्टा आने पर टीम का मनोबल ज़रूर गिर सकता है जिसका फायदा न्यूज़ीलैण्ड की टीम उठा सकती है. और तब भारत के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी।
आगे क्या होगा यह तो 24 अक्टूबर को ही पता चलेगा मगर कागज़ पर भी और परफॉरमेंस में भी बाबर आर्मी के सामने कोहली की सेना बहुत विराट है.