देश में सबसे अधिक प्रदूषित रही लखनऊ की आबोहवा
लखनऊ: केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक लखनऊ शहर की हवा “बेहद ख़राब” स्तर पर पहुँच गई है. लखनऊ की एक्यूआई “256” स्तर पर पहुँच गई. शहर में स्थापित 4 स्टेशनस को अलग अलग कर देखे तो तालकटोरा औद्योगिक क्षेत्र में सबसे अधिक एक्यूआई 333, दुसरे नंबर पर शहर के लालबाग इलाके में एक्यूआई 302, तीसरे नंबर पर सेंट्रल स्कूल के क्षेत्र में एक्यूआई 252 और गोमती नगर क्षेत्र में 133 पाया गया.
कोविड19 आपदा के दौरान लागू सम्पूर्ण लॉकडाउन में सभी ने स्वच्छ वायु को महसूस किया और वायु गुणवत्ता के आंकड़े भी मानक के अनुकूल ही रहें जिसका कारण सभी औद्योगिक इकाइयों का बंद रहना, सड़कों पर डीज़ल-पेट्रोल से चलित वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित रहना और कूड़े-कचरे का जलना भी बंद रहा ऐसे ही अनेक कारण रहे हैं. लेकिन इस लॉकडाउन के खत्म होने के कुछ दिन बाद ही उत्तर प्रदेश के कई शहर लखनऊ, वाराणसी, और आगरा जैसे शहर में हवा एक बार फिर से बोझिल हो गई है.
“क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने कहना है कि इस समय जहाँ एक ओर कोविड19 के आंकड़ो में बढ़ोत्तरी हो रही है वहीँ दूसरी वायु प्रदूषण के आंकड़ो का “बेहद ख़राब” स्तर पर पहुँचाना बेहद चिंता का विषय है. पिछले दिनों ही उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए व्यापक एक्शन प्लान तैयार किया गया और उससे पहले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यनीति भी जनवरी 2019 में घोषणा हुई. लेकिन यह दोनों कार्ययोजना कागजों तक सीमित है, व्यावहारिक रूप से इसका क्रियान्वयन किसी भी शहर होता नही दिख रहा है. प्रशासन और विभागों कि यह लापरवाही प्रदेशवासियों के जीवन को खासा खतरे में डाल रही है.”
ज़हरीली हवा इलर्जी, अस्थमा, कैंसर जैसे गंभीर रोगों के साथ ही यह हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी नष्ट कर सकती है. डब्लूएचओ और भारत सरकार का कहना है कोविड19 से बचने के लिए अपने इम्यून सिस्टम का ध्यान रखना है. फिलहाल बढ़ता वायु प्रदूषण और प्रशासन की लापरवाही हमे बड़े खतरे की ओर ढकेल रही है.