लखनऊ पुस्तक मेला: कालजयी साहित्य के संग पूरी हो रही नयी किताबों की तलाश
लखनऊ
चारबाग के बाल संग्रहालय परिसर में चल रहा लखनऊ पुस्तक मेला अब समापन की ओर बढ़ चला है। मेले का आज सातवां दिन था। कविता कहानियां और उपन्यास पढ़ने का अलग आनन्द है। इंटरनेट की आभासीय दुनिया में ये आनन्द पिछले दो दशकों से रफता-रफता गुम होता जा रहा है। इसी आनन्द की खोज में कालजयी साहित्य की पुस्तकों के संग अपनी रुचि के हिसाब से नया साहित्य पुस्तकप्रेमी दिनभर मेले में तलाशते दिखे।
धर्मवीर भारती, प्रेमचंद, रेणु, शरतचंद, रवींद्रनाथ टैगोर के कालजयी साहित्य के संग बच्चन, नीरज की कविताओं के संग गालिब, मीर, फैज, साहिर की काव्य पुस्तकें भी किसी भी पुस्तक पर कम से कम 10 प्रतिशत छूट देने वाले इस पुस्तक मेले मे खूब हैं। निर्मल वर्मा की परिंदे, मनोज मुंतजिर की मेरी फितरत है मस्ताना, कुमार विश्वास की मैं जो हूं जॉन एलिया हूं, मुन्नवर राना की रुखसत करो मुझे, इरशाद कामिल की एक महीना नज्मों पुस्तकें साहित्यप्रेमियों की पसंद बनी हुई हैं।
तीन अप्रैल तक जारी इस मेले में कहानियां, उपान्यास, कविता-गजल संग्रह के अलावा वेद-वेदांत की पुस्तकें भी हैं। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की ओम प्रकाश पांडेय की भारत वैभव, शशिकांत शुक्ल की विज्ञान और वेदांत, एससी मिश्र की क्वेस्ट फार स्वराज, सच्चिदानंद चतुर्वेदी की न हन्यते जैसी नई पुस्तकें हैं तो वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर नई पुस्तकों में क्षमा शर्मा का परौठा ब्रेक अप, गीताश्री की आम्रपाली, सूरज पाल चौहान की ब्रह्मराक्षस, एसआर हरनोट की नदी रंग जैसी और दिनेश कुमार के संपादन में रश्मिरथी पुर्नपाठ अनेक पुस्तकें हैं। बुकलैंड के स्टाल पर हिंदी-अंग्रेजी में अटेमिक हैबिट और साइकोलॉजी ऑफ मनी सहित कई पुस्तकें नितांत नई हैं। राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल पर ममता कालिया की दो गज की दूरी, सुशोभित की दुख की दैनंदिनी, मदन कश्यप की नीम की रोशनी में और रेणु एक जीवनी प्रमुख हैं।
मंच पर खिल उठी प्रतिभाएं
स्नेह वेलफेयर फाउंडेशन के माध्यम से स्नेहा बाल कहानियां के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर महापौर संयुक्ता भाटिया उपस्थित थीं। विश्वम् महोत्सव के अंतर्गत युवाओं के कार्यक्रम में आज एपी सेन पी जी कॉलेज, महाराजा बिजली पासी महाविद्यालय, गुरु नानक डिग्री कॉलेज के बच्चों ने एक भारत श्रेष्ठ भारत विषय पर नुक्कड़ नाटक, नृत्य और गायन प्रस्तुत किया। नृत्यांगन इंस्टीट्यूट की ओर से अनुपमा श्रीवास्तव के निर्देशन में मेधा सिंह व विदुषी श्रीवास्तव की गणपति स्तुति नर्तन की प्रस्तुति के बाद मानवी, संचयिता बेरा, इश्विका शुक्ला, आद्या चन्द्रा, समृद्धि श्रीवास्तव, आरोही, लवी, निहारिका, किशिका, जिनिशा जैन, आरोही, अवनि, श्रुति, मीमांसा, साह्नवी, आराध्या, सांझी व सिद्धि ने एकल व समूह में होली, घूमर, भरतनाट्यम व स्तुतियों आदि की प्रस्तुति दी। नकुल श्रीवास्तव ने गीत सुनाए। शाम को डा.सुल्तान शाकिर हाशमी की किताबों पर हुई परिचर्चा में विद्वजनों ने भाग लिया। इससे पहले बदलाव एक कदम शिक्षा की ओर ने गीतकार सोमनाथ कश्यप के संयोजन में आयोजित कवि सम्मेलन में अभिषेक सहज, वत्सला पांडेय और वरिष्ठ गीतकार ज्ञान प्रकाश आकुल ,विशिष्ट अतिथि शाहबाज तालिब, बलवंत सिंह, हर्षित मिश्र, पं धीरज मिश्र शांडिल्य, मुकेश मिश्र, सागर कुमार, मोहित, अभिषेक सहज, अनुज अब्र, विनीत शुक्ल, गौरांग मिश्र की सामयिक रचनाओं की गूंज उठी।