कन्हैया के कातिल पैग़म्बर के दुश्मन हैं: AIUMB
टीम इंस्टेंटखबर
आल इण्डिया उलमा व मशाइख बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष एवम वर्ल्ड सूफी फोरम के चेयरमैन हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने उदयपुर में कनैहय्या लाल की हत्या की कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए कातिलों को सख्त से सख्त सज़ा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह घटना पूरी मानवता को शर्मसार करने वाली है ।
हज़रत ने कहा है कि कातिल पैगंबर के दुश्मन हैं और पूरी इंसानियत के कातिल हैं क्योंकि क़ुरआन की सूरह अल- अल-माइदह में अल्लाह फरमाता है कि ” जो किसी को कत्ल करे (बिना इसके कि उसने किसी को कत्ल किया हो अथवा ज़मीन पर फसाद पैदा किया हो) तो उसने सारी इंसानियत को कत्ल किया और जिसने एक जान को बचाया, तो उसने सारी इंसानियत को बचा लिया “…कुरआन, सूरह अल-माइदह (5:32) अब किस तरह किसी इंसान के कत्ल को जायज ठहराया जा सकता है यह सीधे तौर पर कुरआन की शिक्षाओं के खिलाफ है।
जैसा कहा जा रहा है कि जिस इंसान को कत्ल किया गया है उसने गुस्ताखे रसूल नुपुर शर्मा का समर्थन किया था जिस कारण वहशी और कट्टर सोच रखने वाले सरफिरो ने पैगंबर और कुरआन की तालीम को नजरंदाज कर कानून को अपने हाथ में लिया और एक ऐसा नाकाबिले बर्दाश्त जुर्म किया जिसकी जितनी मजम्मत की जाए कम है यह सीधे तौर पर नबी से दुश्मनी है जिसे नबी की मुहब्बत के नाम से किया जा रहा है।
हज़रत ने सरकार से इन मुजरिमों को सख्त से सख्त सज़ा दिए जाने की मांग करते हुए यह भी कहा कि सरकार को चाहिए जल्द से जल्द नुपुर शर्मा को भी गिरिफ्तार करे ताकि नवजवानों को वर्गलाने की साजिश रचने वाले हमारे प्यारे वतन में अशांति फैलाने की साजिश में कामयाब न होने पाए । दावते इस्लामी का खुद को सदस्य कहने वाले इस वहशी दरिंदे की जांच की जानी चाहिए कि ऐसी दरिंदगी की सोच और शिक्षा उसे किसने दी आखिर कौन हैं वह लोग जो मुल्क के अमन को तबाह करना चाहते हैं।
मुसलमानों के लिए पैगंबर की शान उनकी जान से बढ़कर है और यकीनन मुसलमानों को नुपुर शर्मा की टिप्पणी से गहरा दुख हुआ है जिस कारण उनमें गुस्सा है लेकिन किसी की जान लेने की इजाज़त इस्लाम नहीं देता और ऐसा करने वाले खुद नबी के गुस्ताख हैं क्योंकि उनकी वजह से नबी की तालीम पर उंगली उठेंगी लिहाजा कानून को हाथ में न लेते हुए संवैधानिक तरीके से अपनी बात कहनी चाहिए और सरकार को भी किसी भी धर्म के खिलाफ टिप्पणी करने वालों पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए इसमें किसी भी प्रकार की देरी नहीं करनी चाहिए।