असंगठित मजदूरों के गरिमापूर्ण जीवन की गारंटी सरकार का कर्तव्य: साझा मंच
11 से 17 सितंबर तक चलेगा मांग पखवाड़ा, 12 अक्टूबर को होगा राज्यस्तरीय सम्मेलन
राज्यपाल के नाम संबोधित मांग पत्र पर चलाएंगे हस्ताक्षर अभियान
लखनऊ
भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव को जीतने के लिए लाभार्थियों के बीच में जाने और उनके लिए चालू की गई योजनाओं का प्रचार प्रसार करने का अभियान चला रही है। ऐसे में यदि भाजपा सरकार ईमानदार है तो उसे ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 8 करोड़ 30 लाख प्रदेश के असंगठित मजदूरों को लाभार्थी घोषित करना चाहिए और उनके लिए आयुष्मान कार्ड, प्रधानमंत्री आवास, 5 लाख का दुघर्टना बीमा, पुत्री विवाह अनुदान, शिक्षा अधिकार के तहत मुफ्त शिक्षा, कौशल विकास की योजनाएं लागू करनी चाहिए। इन मांगों पर साझा मंच की तरफ से 11 से 17 सितंबर तक पूरे प्रदेश में मांग पखवाड़ा मनाया जाएगा, जिसमें जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र भेजा जाएगा, 15 सितंबर को लखनऊ के उप श्रम आयुक्त कार्यालय पर एक दिवसीय धरना होगा और 12 अक्टूबर को प्रदेश स्तरीय सम्मेलन लखनऊ में आयोजित किया जाएगा। यह बातें आज एटक राज्य कार्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में असंगठित क्षेत्र के साझा मंच के नेताओं ने की। पत्रकार वार्ता को एटक के प्रदेश महामंत्री और साझा मंच के कोआर्डिनेटर चंद्रशेखर, यूपी वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, एचएमएस के प्रदेश मंत्री एडवोकेट अविनाश पांडे, इंटक के प्रदेश मंत्री दिलीप श्रीवास्तव व उत्तर प्रदेश संयुक्त निर्माण मजदूर मोर्चा के कोऑर्डिनेटर प्रमोद पटेल ने संबोधित किया।
पत्रकार वार्ता में नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बने ई पोर्टल में 8 करोड़ से ज्यादा मजदूरों का पंजीकरण प्रदेश में कराया गया। इन मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए 2008 में संसद से कानून बनाया गया। जिसमें साफ-साफ वृद्धावस्था, जीवन, प्रसूति, पेंशन, आवास, स्वास्थ्य सुरक्षा आदि की बातें लिखी हुई है। संविधान का अनुच्छेद 21, 39, 41, 43 भारत के हर नागरिक को गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है। बावजूद इसके प्रदेश के असंगठित मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए योजनाओं की घोषणा नहीं की गई है। पत्रकार वार्ता में मजदूर नेताओं ने पीएम विश्वकर्मा योजना को छलावा बताते हुए कहा कि इसके पूर्व भी सरकार ने कौशल विकास योजना चालू की थी उसके समेत स्टार्टअप जैसी योजनाएं बुरी तरह विफल रही है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद उत्पादकता में इसका कोई योगदान नहीं रहा है। पीएम विश्वकर्मा योजना में 5 प्रतिशत ब्याज पर एक लाख का कर्ज ऊंट के मुंह में जीरा है और इससे कोई भी नया उद्योग कामगार खड़ा नहीं कर पाएगा।
मजदूर नेताओं ने प्रदेश में न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण में देरी किए जाने पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया और कहा कि श्रम मंत्री द्वारा 6 महीने में वेज बोर्ड गठन करना औचित्यहीन है। वैसे ही वेज रिवीजन में 4 साल की देरी हो चुकी है। ऐसे में तत्काल वेज बोर्ड का गठन करके न्यूनतम वेतन का वेज रिवीजन किया जाना चाहिए। पत्रकार वार्ता में आईएलओ कन्वेंशन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद घरेलू कामगारों के लिए कानून और सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का गठन न करने, निर्माण मजदूरों के लिए चल रही योजनाओं में जटिलताएं पैदा करने की बात उठाते हुए नेताओं ने कहा कि सरकार का यह कर्तव्य है कि वह मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा और उनकी गरिमा पूर्ण जीवन जीने के अधिकार की गारंटी करें। यदि सरकार अपने कर्तव्य का पालन नहीं करती है तो मजदूर को गोलबंद कर एक बड़े आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।
पत्रकार वार्ता में एटक जिलाध्यक्ष रामेश्वर यादव, निर्माण मजदूर मोर्चा अध्यक्ष नौमी लाल, घरेलू कामगार यूनियन की सीमा रावत, ललिता राजपूत, चालक यूनियन के रमेश कश्यप, ई रिक्शा यूनियन के मोहम्मद अकरम, घरेलू उद्योग यूनियन के सलीम, कुली यूनियन के राम सुरेश यादव, शांति, राहुल यादव समेत तमाम लोग मौजूद रहे।