कुलपति बनने के लिए अब अकादमिक क्षेत्र से होना ज़रूरी नहीं
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विनिमय 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है, जिसके अनुसार अब ऐसे लोग भी यूनिवर्सिटी में कुलपति बन सकेंगे, जो अकादमिक क्षेत्र से नहीं आते हैं. ड्राफ्ट गाइडलाइन कल, 6 जनवरी को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जारी किया.
जारी ड्राफ्ट गाइडलाइन के अनुसार अब 70 साल की उम्र तक यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर बन सकेंगे. वहीं विश्वविद्यालयों में कुलपति बनने के लिए अब अकादमिक क्षेत्र का होना अनिवार्य नहीं होगा. नए नियमों के तहत इंडस्ट्री, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, पब्लिक पाॅलिसी, पब्लिक सेक्टर, पीएसयू आदि सेक्टर के विषय विशेषज्ञ भी कुलपति बन सकेंगे. पहले कुलपति बनने के लिए अकादमिक योग्यता में पढ़ाने अनुभव अनिवार्य मानक था.
वहीं जारी ड्राफ्ट गाइडलाइन के अनुसार किसी भी उच्च शिक्षा संस्थान में 10 साल का अनुभव रखने वाले भी यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर बन सकेंगे. इसके अलावा उच्चा शिक्षा में प्रोफेसर, रिसर्च सेक्टर में अकादमिक प्रशासन का अनुभव रखने वाले भी कुलपित बन सकेंगे. वहीं कुलपति के पद पर एक व्यक्ति अधिकतम दो टर्म तक रह सकता है.
नहीं उच्च शिक्षा संस्थानों और काॅलेजों में बिना नेट और पीएचडी डिग्री वाले भी प्रोफेसर बन सकते हैं. ऐसे कैंडिडेट यूजीसी की प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना के तहत अपनी सेवाएं दे सकेंगे. उद्योगों के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञ इस योजना के तहत काॅलेजों में तीन साल की अवधि तक प्रोफेसर के रुप में काम कर सकेंगे और ये पद अस्थाई होंग. कुल पदों में 10 फीसदी पदों पर ऐसे प्रोफेसरों की नियुक्ति की जाएगी.
यूजीसी ने योग, संगीत, मूर्तिकला सहित कुल 8 क्षेत्रों में विशेषज्ञों को असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद पर सीधे नियुक्ति किया जाएगा. इसके लिए असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए कैंडिडेट के पास ग्रेजुएशन की डिग्री के साथ संबंधित क्षेज्ञ में 5 साल का अनुभव व स्टेट या नेशनल अवार्ड होना चाहिए. वहीं एसोसिएट पद के लिए यूजी की डिग्री के साथ दस साल का अनुभव और प्रोफेसर पद के लिए यूजी के साथ 15 साल का संबंधित क्षेत्र में अनुभव होना चाहिए.