क्या योगी मोदी के लिए भीड़ जुटाने का कारिंदा मात्र हैं?, स्वामी चिन्मयानंद ने दागा सवाल
टीम इंस्टेंटखबर
जबसे यूपी चुनाव की रणभेरी बजी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तर प्रदेश आना जाना बढ़ गया है, भले ही यह सब सरकारी आयोजन हों लेकिन इनका पूरी तरह चुनावी इस्तेमाल हो रहा है, इन आयोजनों में बहुत कोशिशों और सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग करने के बावजूद मनचाही भीड़ नहीं जुट पा रही है. मोदी और योगी के ख़राब रिश्तों को भी इसका कारण माना जा रहा है. गौर करें तो पीएम मोदी के कार्यक्रमों से ज़्यादा भीड़ तो सीएम योगी के कार्यक्रमों में होती है, ऐसे में नए मुख्य सचिव ने और सियासी भूचाल ला दिया है.
बीजेपी के तीन बार के पूर्व सांसद और देश के पूर्व गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती एक बार फिर चर्चा में हैं. स्वामी चिन्मयानंद ने फेसबुक पोस्ट पर नए मुख्य सचिव की तैनाती पर सवाल खड़े किए हैं. साथ ही चिन्मयानंद ने इस फैसले पर मोदी सरकार पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा- क्या योगी सिर्फ मोदी की सभाओं में भीड़ जुटाने का कारिंदा मात्र रह गए हैं?’
स्वामी चिन्मयानंद ने रिटायर हो रहे अफसर को सेवा विस्तार देकर दुर्गा शंकर मिश्रा को मुख्य सचिव बनाए जाने के औचित्य पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा है कि क्या मोदी अब केंद्र के विभिन्न विभागों की तरह उत्तर प्रदेश का शासन भी इन्हीं के बल पर चलाएंगे? शाहजहांपुर से पूर्व सांसद और देश के पूर्व गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर 31 दिसंबर को एक पोस्ट लिखी है. स्वामी चिन्मयानंद ने 11 लाइन की फेसबुक पर नए मुख्य सचिव की तैनाती पर सवाल खड़े किए हैं.
स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने लिखा है- ‘वर्ष के अंतिम दिन उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में व्यापक फेरबदल चौंकाने वाला है, मुख्य सचिव पद पर तमाम योग्य प्रशासनिक अधिकारियों के होने के बावजूद भी अवकाश प्राप्त अधिकारी को सेवा विस्तार देकर प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया जाना क्या उचित है? क्या यह योगी का निर्णय है अथवा किसी अन्य का, इतना ही नहीं तमाम जिलों में जिला अधिकारियों के स्थानांतरण भी इसी बुजुर्ग अधिकारी के निर्देश पर हुए हैं? क्या मोदी अब केंद्र के विभिन्न विभागों की तरह उत्तर प्रदेश प्रशासन भी इन्हीं के बल पर चलाएंगे? क्या योगी सिर्फ मोदी की सभाओं में भीड़ जुटाने का कारिंदा मात्र रह गए हैं? गुजरात, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश के विभिन्न चुनावों में आपको महिमामंडित करने वाला आपका यह संत सिपाही क्या अब आपके काम का नहीं रह गया?’
स्वामी चिन्मयानंद ने साफ कहा कि मैंने सिर्फ एक रिटायर हो रहे अधिकारी को मुख्य सचिव बनाए जाने के औचित्य पर सवाल खड़ा किया है. मेरा कोई विरोध नहीं है. मैंने व्यवस्था का विरोध नहीं किया है. बस जब प्रदेश में तमाम अन्य अधिकारी मौजूद हैं, तो रिटायरमेंट से 2 दिन पहले मुख्य सचिव बनाया जाना कहां तक उचित है.