ईरान ने शुरू किया यूरेनियम का संवर्धन, मची खलबली
तेहरान: ईरान ने यूरेनियम का 20 प्रतिशत संर्वधन शुरु कर दिया है और यह भी एलान किया है कि वह 40 प्रतिशत से भी अधिक संवर्धन कर सकता है। ईरान के इस एलान के बाद ईरान विरोधी मोर्चे में खलबली मच गयी है और इस्राईल ने यह हंगामा मचाना शुरु कर दिया है कि ईरान परमाणु बम बनाने वाला है।
ईरान के सरकारी प्रवक्ता अली रबीई ने कहा कि राष्ट्रपति ने यूरेनियम के 20 प्रतिशत संवर्धन का आदेश जारी कर दिया है और इसकी जानकारी परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी को भी दे दी गयी है।
संसद में पारित होने वाले कानून के हिसाब से उठाए गये इस क़दम के बाद पश्चिमी देशों ने तत्काल प्रतिक्रिया प्रकट की और युरोपीय संघ के विदेशी मामलों के ज़िम्मेदार पीटर स्टानो ने कहा है कि, युरोप, इस क़दम को परमाणु समझौते का उल्लंघन समझता है और यह परमाणु अप्रसार के लिए गंभीर परिणाम का कारण बनेगा।
यह ऐसी दशा में है कि ईज्ञान द्वारा यूरेनियम के 20 प्रतिशत संर्वधन का क़दम, अमरीका के गैर क़दम और युरोप की ओर से वचनों के उल्लंघन का स्वाभाविक उत्तर और परमाणु समझौते के अनुच्छेद 36 के अनुसार है।
इस अनुच्छेद के अनुसार अगर ईरान को यह महसूस हो कि परमाणु समझौते का कोई सदस्य अपने वचनों का पालन नहीं कर रहा है तो वह समस्या के समाधन के लिए उसे संयुक्त आयोग में भेज सकता है और अगर वहां भी उसका समाधान न हो तो उस समय वह सुरक्षा परिषद के सूचना दे कर समझौते के पालन को पूरी तरह से या आंशिक रूप से रोकने का अधिकार रखता है।
अस्ल में यह लगता है कि ईरान के संयम को अमरीका और युरोप ने गलत अर्थों में लिया है।
जेसीपीओए कहा जाने वाला परमाणु समझौते को सरल रूप में समझने के लिए यह जानना काफी है कि यह ईरान की ओर से अपनी परमाणु गतिविधियों में कुछ कमी के बदले उस पर लगे सभी प्रतिबंधों को खत्म करने का एक का समझौता है लेकिन हालत यह है कि न केवल यह कि कोई प्रतिबंध खत्म नहीं हुआ बल्कि कुछ प्रतिबंधों को तो अधिक कड़ा कर दिया गया है तो फिर ईरान ही क्यों अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित रखे?
यूरोप और अमरीका को यह सच्चाई जान लेना चाहिए कि उल्लंघन वह कर रहे हैं और धमकी वगैरा की भाषा का शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियां शुरु करने के ईरान के फैसले पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।
ईरान ने बारम्बार कहा है कि समझौते के अनुसार वह अपनी प्रतिबद्धताएं जिस तरह से कम कर रहा है उसी तरह से वह वापस भी आ सकता है मगर इसके लिए शर्त यह है कि ईरान पर लगे सभी प्रतिबंध खत्म किये जाएं।