यूपी में अबतक 74 एनकाउंटर की जांच, सभी में मिली पुलिस को क्लीन चिट
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में मुठभेड़ों (encounter) का एक और दौर और अब शुरू होगा इन मुठभेड़ों की जांच का दौर| सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2014 में दी गयी गाइडलाइन के अनुसार अब एनकाउंटर नंबर 119 (vikas dubey encounter) की जांच होगी। गैंगस्टर विकास दुबे कल (10 जुलाई) ही एनकाउंटर में उस समय मारा गया जब यूपी एसटीएफ (UP STF) उसे उज्जैन से कानपुर ला रही थी। रास्ते में वह गाड़ी पलट गयी जिसमें 8 पुलिसवालों की हत्या का मुख्य आरोपी बैठा था| पुलिस के अनुसार विकास दुबे ने मौके का फायदा उठाया और पुलिसकर्मी की पिस्तौल छीनकर भागा, पुलिस ने वार्निग दी मगर वह भागता रहा और पुलिस पर फायरिंग करता रहा , पुलिस भी पीछे पीछे भागती रही, अंत में मजबूर होकर पुलिस टीम कप को अपनी आत्मरक्षा (self defence) में गोली चलानी पड़ी और विकास वहीँ ढेर हो गया क्योंकि एक गोली उसके सीने में जा लगी थी। दिलचस्प बात अब ये है कि इस एनकाउंटर की जो जांच होगी उसके भी नतीजे क्या पहले जैसे आएंगे। कम से कम पुराने रिकॉर्ड्स तो इसी बात का इशारा कर रहे हैं।
अब तक 119 बदमाश मारे गए
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार (Yogi Govt) बनने के बाद पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक ऐसे एनकाउंटर या गोलीबारी में उत्तर प्रदेश में विकास दुबे को मिलाकर अब तक 119 आरोपी मारे गए हैं। इनमें से 74 एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच पूरी हुई है। इन सभी में पुलिस को क्लीन चिट मिली है और कोर्ट ने पुलिस की ओर से फाइल की गई 61 रिपोर्ट को स्वीकार किया है।
क्या कहते हैं रिकॉर्ड
रिकॉर्ड बताते हैं कि कुल 6145 ऐसे ऑपरेशन हुए है और इसमें 119 आरोपी मारे गए हैं जबकि 2258 घायल हुए हैं। इन ऑपरेशन में 13 पुलिसकर्मियों की भी जान गई है। इस संख्या में पिछले हफ्ते कानपुर में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। वहीं, कुल 885 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
हैदराबाद एनकाउंटर
पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद (Hyderabad) में एक 26 साल की डॉक्टर के रेप के चार आरोपियों के एनकाउंटर के मामले में पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज वीए सिरुपुर की अध्यक्षता में जांच के आदेश दिए थे। उस मामले में भी तेलंगाना पुलिस की ओर से कहा गया था कि आरोपी पुलिस से हथियार छिनने के बाद भागने की कोशिश कर रहे थे, और तब उन्हें मारा गया। इस घटना के 7 महीने हो गए हैं और अभी जांच जारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया था गंभीर मामला
यूपी की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सूबे में हुए एनकाउंटर को जनवरी 2019 में ‘गंभीर मामला’ बताया था। सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिवर्टीज की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई थी। इस याचिका में 1000 एनकाउंटर्स की लिस्ट के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था, जिसमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। इस केस को तब जुलाई 2018 से फरवरी 2019 के बीच चार बार सुना गया। हालांकि, उसके बाद अभी तक ये सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं हो सकी है।
योगी सरकार ने माना था उपलब्धि
खास बात ये भी है कि यूपी सरकार ने पिछले साल गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर मुठभेड़ की संख्याओं को अपनी ‘उपलब्धि’ के तौर पर गिनवाने की बात कही थी। इस संबंध में पत्र भी भेजे गए थे। ये पत्र राज्य में जिला मजिस्ट्रेटो को भी भेजे गए, जिन्हें आम तौर पर पुलिस की ओर से हुए एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच में अहम भूमिका निभानी होती है।